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दुमका लोकसभा चुनाव 2024: पूर्व नक्सली रामलाल राय पहली बार करेगा वोट, 17 साल में जंगलों की खाक छाननेवाला मुख्यधारा में ऐसे लौटा

दुमका लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर चुनावी तापमान बढ़ा हुआ है. इस बीच पूर्व नक्सली रामलाल राय पहली बार वोट करने को लेकर काफी उत्साहित है. 17 साल की उम्र में जंगलों की खाक छाननेवाला मुख्यधारा में लौटकर खेती-बाड़ी कर परिवार का पालन-पोषण कर रहा है.

काठीकुंड (दुमका), अभिषेक: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर झारखंड में सियासी सरगर्मी तेज है. ताबड़तोड़ रैलियों के बीच वोटरों में भी उत्साह है. पहली बार वोट करने वाले भी उत्साहित हैं. इनमें दुमका का रामलाल राय भी शामिल है. 33 साल की उम्र में ये पहली दफा वोट करेगा. कम उम्र में ही मुख्यधारा से भटककर वह नक्सली दस्ते में शामिल हो गया था. साढ़े दस साल की सजा काटने के बाद वह खुली हवा में सांस ले रहा है. अपने परिवार के साथ रहकर खेती-बाड़ी कर उनका पालन-पोषण कर रहा है. देश में सातवें व झारखंड के चौथे व अंतिम चरण में दुमका, गोड्डा व राजमहल में 1 जून को चुनाव होने हैं.

साढ़े दस साल की सजा काटकर बाहर निकले हैं रामलाल

पहले आवारागर्दी करता फिरता था. इसलिए उसके पिता स्व बद्री राय उसे अपने साथ नक्सली दस्ते में ले गये थे, ताकि उस पर नजर रख सकें. यह कहना है नक्सल गतिविधियों से दूर मुख्यधारा में लौटे 33 वर्षीय रामलाल राय का. रामलाल दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड के बड़ा सरुआपानी गांव का रहने वाला है. नक्सल गतिविधियों के कारण जीवन बर्बाद होने का रामलाल को मलाल भी है. 23 जुलाई 2023 को वह साढ़े दस साल की सजा काट कर जेल से निकला है. अब मुख्यधारा में लौटकर अपने परिवार के साथ खेती-बाड़ी कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर वह दुमका में पहली बार 1 जून को वोट करेगा.

पहली बार मतदान करेगा रामलाल

रामलाल राय ने कहा कि कोई रोजी-रोजगार मिल जाने से परिवार चलाना आसान हो जाता. उसने बताया कि वह वर्ष 2006 में नक्सली दस्ते में शामिल हुआ था. यह उसके लिए पहला अवसर होगा जब वह लोकसभा चुनाव में मतदान कर अपने मताधिकार का प्रयोग करेगा. रामलाल ने बताया कि दस्ते से जुड़े रहने के दौरान काफी परेशानियां होती थीं. यहां से वहां भटकना, ना खाने का ठिकाना था, ना रहने का.

चार साल बाद जेल से निकली पत्नी

कई बार घर लौटने की सोचता था, लेकिन काफी केस मुकदमे हो जाने की वजह से घर लौटने की हिम्मत नहीं होती थी. वर्ष 2013 के फरवरी माह में रामलाल पुलिस गिरफ्त में आ गया. इस दौरान उसके साथ नक्सली गतिविधियों में संलिप्त उसकी पत्नी दीपिका मुर्मू और उसकी डेढ़ साल की बेटी भी मौजूद थी. पत्नी 4 साल बाद जेल से निकली. वर्तमान में रामलाल अपनी पत्नी, अपने बेटे और एक बेटी के साथ अपने गांव में खेती-बाड़ी कर जीवन-यापन कर रहा है.

17 में 13 केस में अदालत ने कर दिया बरी

रामलाल ने कहा कि गांव में सिंचाई के साधनों को विकसित किए जाने की जरूरत है ताकि हमलोग सालभर खेती कर सकें. लोकतंत्र की मजबूती के लिए लोकतंत्र के महापर्व में भाग लेकर मतदान करने की अपील लोगों से की. रामलाल ने बताया कि उस पर एक-दो नहीं 17 केस हुए. एक केस (आर्म्स एक्ट) में उसे दो साल की सजा हुई, लेकिन 13 केस में उसे अदालत ने बरी किया है. तीन केस अभी और है. दो केस दुमका और एक पाकुड़ जिले से संबंधित है.

पिता बद्री राय भी गये थे जेल, भाई सहदेव उर्फ ताला दा पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था

लंबे समय तक जेल की सलाखों के पीछे रहे रामलाल राय को मलाल है कि नक्सलवाद ने उसके परिवार को तहस-नहस कर दिया. पिता बद्री राय को भी जेल जाना पड़ा था. पिता जेल से बाहर आ चुके थे और वह जेल में ही था, तब भाई सहदेव राय उर्फ ताला पुलिस मुठभेड में मारा गया.

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Guru Swarup Mishra
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मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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