Giridih News: गिरिडीह जिले के गांडेय विधानसभा क्षेत्र की बुधूडीह पंचायत ग्रामीण सड़क, शिक्षा एवं पेयजल संकट से जूझ रही है. जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर बुधूडीह में शनिवार को ‘प्रभात खबर पाठक संवाद’ का आयोजन किया गया. इसमें ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात की. ग्रामीण प्रकाश वर्मा, उमा शंकर वर्मा, विकास वर्मा, संजीत वर्मा, उपेंद्र वर्मा, रंजीत कुमार, राजेंद्र प्रसाद, जागेश्वर वर्मा, लालू साह, मंजर आलम, छोटेलाल वर्मा, मधु दत्ता, जयंत वर्मा और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि बुधूडीह पंचायत में मुख्य रूप से बुधूडीह, सुजना, जोरासीमर, पुतरिया, पहरमा, गुलियाडीह राजस्व गांव हैं. इसकी कुल आबादी करीब 10 हजार है. पंचायत में करीब साढ़े छह हजार मतदाता हैं. पंचायत में हिंदू, मुस्लिम, संताल और दलित परिवार बसे हैं, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है.
संवेदक और पेटी ठेकेदार की लड़ाई में लटकी जल-नल योजना
ग्रामीणों ने बताया कि बुधूडीह पंचायत में जल-नल योजना के तहत 65 प्वाइंट बोरिंग करनी थी, लेकिन आज तक 5 जगहों पर भी जल-नल योजना शुरू नहीं हो पायी है. संवेदक और पेटी ठेकेदार के विवाद में जल-नल योजना फंस गयी है. किसी के घर नल से जल नहीं पहुंच रहा है.

कच्ची सड़क पर आवाजाही को मजबूर
ग्रामीणों ने बताया कि 2 जिलों की सीमा के चक्कर में बुधूडीह-बलकूडीह वाया गगनपुर सड़क नहीं बन पायी है. ऐसे में लोग कच्ची सड़क से आवागमन करने के लिए मजबूर हैं. बरसात में कच्ची सड़क पर वाहन तो क्या, पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है.
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पुल के अभाव में बरसात में पंचायत से कट जाता है जोरासीमर गांव
ग्रामीणों ने बताया कि बुधूडीह-जोरासीमर के बीच नाला पर पुल नहीं बनने से बरसात में पंचायत 2 भाग में बंट जाती है. जोरासीमर नदी पर पुल नहीं होने की वजह से स्कूली बच्चों से लेकर आमजन तक को बरसात में 5 किलोमीटर की दूरी तय करके स्कूल या पंचायत मुख्यालय आना पड़ता है. पंचायत के सभी गांवों का मुख्य बाजार भी बुधूडीह ही है.
बुधूडीह पंचायत गिरिडीह एवं देवघर जिले की सीमा पर है. बुधूडीह-बलकूडीह के बीच देवघर का एक गांव होने के कारण सड़क नहीं बन पा रही है. इस पर जिला प्रशासन एवं दोनों क्षेत्र के विधायक-सांसद को पहल करनी चाहिए.
प्रमोद राम, शिक्षाविद्
उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं
यहां से 10 किलोमीटर दूर अहिल्यापुर और गांडेय में उच्च विद्यालय है. बच्चों को वहां जाने में काफी परेशानी होती है. वैसे तो पंचायत में वित्तरहित उच्च विद्यालय है, लेकिन सरकारी व्यवस्था की कमी है. ग्रामीणों ने बताया कि प्राथमिक और मध्य विद्यालय की भी स्थिति जर्जर है. उत्क्रमित मध्य विद्यालय पुतरिया की ही बात करें, तो एक भवन की छत जर्जर हो गयी है. दुर्घटना के डर से कमरे को बंद कर दिया गया है.
इस क्षेत्र में सरकारी उच्च विद्यालय का अभाव है. यहां 10 किलोमीटर दूर अहिल्यापुर या गांडेय में उच्च विद्यालय है. बुधूडीह में एक उच्च विद्यालय है भी, तो वित्तरहित होने के कारण यहां सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. पहल करने की आवश्यकता है.
तारा प्रसाद वर्मा, व्यवसायी
स्वच्छ भारत मिशन की स्थिति भी दयनीय
स्थानीय लोगों ने बताया कि पंचायत में सामुदायिक शौचालय तो बना है, लेकिन उसे स्कूल को हैंडओवर कर दिया गया है. स्वच्छ भारत मिशन से गांवों में निर्मित शौचालय की स्थिति भी दयनीय है. इस कारण लोग खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर हैं.
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क्या कहते हैं बुद्धिजीवी
बुधूडीह में वित्तरहित उच्च विद्यालय है, जिसे मात्र अनुदान राशि मिलती है. सरकार यदि इसका अधिग्रहण करे, तो गरीब बच्चे लाभान्वित हो सकते हैं. जोरासीमर में पुल निर्माण की स्वीकृति हो चुकी है, लेकिन टेंडर नहीं हुआ है. पहल करनी चाहिए.
पंचायत के अधिकांश लोग कृषि पर आश्रित हैं, लेकिन समुचित संसाधन और सिंचाई व्यवस्था में कमी के कारण सालों भर खेती-बाड़ी नहीं हो पाती है. मनरेगा में भी समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं होता. मजदूर और युवा पलायन करने को मजबूर हैं.
अनिल टुडू, प्रबंधक, बुधूडीह पैक्स
समस्याओं के निदान की दिशा में सकारात्मक पहल की जरूरत : मुखिया
बुधूडीह पंचायत के मुखिया नवीन कुमार वर्मा ने कहा कि पंचायत में सड़क का अभाव है. पेयजल की भारी किल्लत है. पूरे पंचायत में जल-नल योजना की स्थिति दयनीय है. किसी के घर में नल से जल नहीं पहुंच रहा है. बुधूडीह-जोरासीमर, बुधूडीह-बलकूडीह समेत कई सड़कें कच्ची हैं. पंचायत में शौचालय की स्थिति भी काफी दयनीय है. समस्याओं के निदान के लिए प्रशासन द्वारा सकारात्मक पहल करने की जरूरत है.
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