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Good News: झारखंड में गैर मजरुआ खास जमीन की खरीद-बिक्री से रोक हटी

Good News Jharkhand : झारखंड में केसरेहिंद भूमि, गैर मजरुआ आम भूमि, वनभूमि, जंगल समेत अन्य विभागों के लिए अर्जित सरकारी भूमि के साथ-साथ गैर मजरुआ खास जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी गयी थी. आदेश के खिलाफ कई लोगों ने झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर कर दी. याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश राजेश शंकर की डबल बेंच ने फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार की जारी अधिसूचना रद्द कर दी.

Good News| गिरिडीह, राकेश सिन्हा : झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में गैर मजरुआ खास जमीन की खरीद-बिक्री से रोक हटा दी है. हाइकोर्ट ने राजस्व, निबंधन व भूमि सुधार विभाग के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें गैर मजरुआ खास जमीन के निबंधन पर रोक लगायी गयी थी. विभाग के इस आदेश से राज्य भर के वैसे रैयत परेशान थे, जिनकी जमीन गैर मजरुआ खास खाते की है. राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के तत्कालीन सचिव कमल किशोर सोन ने 26 अगस्त, 2015 को अधिसूचना जारी कर आदेश दिया था कि हस्तांतरण विलेख का निबंधन निबंधन अधिनियम 1908 की उपयुक्त धारा 22 ‘क’ के अधीन लोकनीति के विरुद्ध है.

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने रद्द की अधिसूचना

इस आदेश के बाद झारखंड में केसरेहिंद भूमि, गैर मजरुआ आम भूमि, वनभूमि, जंगल समेत अन्य विभागों के लिए अर्जित सरकारी भूमि के साथ-साथ गैर मजरुआ खास जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी गयी थी. आदेश के खिलाफ कई लोगों ने झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर कर दी. याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश राजेश शंकर की डबल बेंच ने फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार की जारी अधिसूचना रद्द कर दी.

पांच रिट याचिकाओं पर एक साथ हुई सुनवाई

भूमि सुधार विभाग के आदेश के खिलाफ झारखंड हाइकोर्ट में कई रिट याचिकाएं दायर की गयीं. रांची की सीएनडीटीए नामक कंपनी, जमशेदपुर की मेसर्स वीएसआरएस कंस्ट्रक्शन, गिरिडीह के भगवती देवी व वीरेंद्र नारायण देव और धनबाद के विनोद अग्रवाल याचिका दायर करनेवालों में शामिल थे. रिट याचिका-5088/2018, 630/2019, 2479/2019, 7526/2023 और 1121/2024 पर एक साथ सुनवाई करते हुए झारखंड हाइकोर्ट की डबल बेंच ने अपना फैसला सुनाया.

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया गया है हवाला

झारखंड हाइकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया है, जिसमें राज्य सरकार बनाम बसंत नाहटा व अन्य में अपना फैसला सुनाया गया था. राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार के निर्देश के आलोक में निबंधन एक्ट में संशोधन किया था, जिसमें बताया गया कि सार्वजनिक नीति का सिद्धांत अस्पष्ट और अनिश्चित है. इसकी व्याख्या करने के लिए कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के फैसले को अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए उसे खारिज कर दिया था. उसी आदेश का हवाला देते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.

  • झारखंड हाइकोर्ट ने राजस्व, निबंधन व भूमि सुधार विभाग का आदेश किया खारिज
  • गिरिडीह जिले में नौ लाख रैयतों की भूमि थी प्रतिबंधित सूची में
  • जमीन की रजिस्ट्री पर रोक से जमीन खरीद-बिक्री करने वाले थे परेशान

सरकार का अव्यावहारिक आदेश हुआ रद्द : वरिष्ठ अधिवक्ता

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गिरिडीह के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार का कहना है कि राज्य सरकार ने अव्यावहारिक आदेश जारी किया था, जिससे गिरिडीह समेत राज्य भर के गैर मजरुआ खास जमीन के रैयत परेशान थे. इस अव्यावहारिक आदेश को झारखंड हाइकोर्ट ने रद्द कर दिया है. इससे लाखों लोगों को राहत मिलेगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस रैयत की जमाबंदी पंजी टू में कायम है, वह रैयती हो गया है और यदि सरकार को लगता है कि उसकी जमीन है, तो उसे सिविल सूट में जाना चाहिए.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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