लक्ष्मीनारायण पांडेय, सरिया : देश की आजादी के पूर्व तत्कालीन हजारीबाग जिला का सरिया (हजारीबाग रोड स्टेशन) बंगाली कोठियों को लेकर काफी चर्चित था. शांत-स्वच्छ वातावरण के बीच अपनी भव्यता व फूलों के मनमोहक उद्यान के कारण ये कोठियां सरिया को एक विशेष आभामंडल प्रदान करती थीं. इसी मनोहारी छटा का हिस्सा था स्थानीय चंद्रमारणी गांव में चौधरी परिवार का शांतिकुंज. चौधरी परिवार कविवर रवींद्रनाथ ठाकुर के रिश्तेदार बताया जाता है. इस परिवार के जयंतनाथ चौधरी 1962 से 1966 ई तक देश के पांचवें थल सेनाध्यक्ष रहे.
चंद्रमारणी में आज भी है जनरल का बंगला :
प्रकृति की सुंदर छटा, शांत तथा स्वच्छ वातावरण के कारण इस क्षेत्र को लेकर बंगाल के संभ्रांत परिवारों का सहज आकर्षण होने के कारण लोगों ने अपना आशियाना बना रखा था. एकीकृत बगोदर-सरिया प्रखंड के प्रथम उप प्रमुख वयोवृद्ध टेकलाल मंडल ने बताया कि जयंत नाथ चौधरी बंगाल के एक संभ्रांत तथा कुलीन ब्राह्मण परिवार से थे. 1940 के दशक में जनरल चौधरी ने भी सरिया के चंद्रमारणी गांव में लगभग चार बीघा जमीन लेकर शांतिकुंज नाम से एक सुंदर व भव्य बंगला बनवाया.
ऐशो आराम की सारी सुविधाओं से लैस था परिसर :
चहारदीवारी के बीच एक-एक छोटा-बड़ा गेट लगाया गया. आम, अमरूद, इमली, कटहल, लीची, चीकू, बेल, बेर, नारियल, शीशम, यूकेलिप्टस, अशोक, गुलमोहर आदि फलदार तथा छायादार वृक्ष लगाये गये. जूही, चंपा, चमेली, रात रानी, गुलाब, गेंदा, बेली, सदाबहार, जीनियां, उड़हुल सहित अन्य प्रकार के फूलों से उद्यान को सजाया. भौतिक सुख-सुविधा तथा मनोरंजन के लिए बगीचे में झूले तथा कुर्सियां लगवायीं. परिजनों के साथ हॉकी, बैडमिंटन, वॉलीबॉल जैसे आउटडोर गेम खेलने के लिए उस अनुसार परिसर के अंदर खेल का मैदान भी था.
छोटा पुत्र ऋषिकेश में संत है :
श्री मंडल बताते हैं कि इस भव्य बंगले में जनरल चौधरी अपनी पत्नी, पुत्र दिलीप कुमार चौधरी तथा असीम चौधरी सहित परिवार के अन्य सदस्यों के साथ छुट्टियां बिताने आया करते थे. बताया जाता है कि जनरल चौधरी के बड़े बेटे दिलीप कुमार चौधरी भी उच्च ओहदे पर थे, जबकि छोटा पुत्र असीम चौधरी नौकरी छोड़कर गुरुवर साधु सीताराम जी महाराज के आनंद भवन आश्रम की शाखा ऋषिकेश में संत बन गये. जनरल चौधरी के शांतिकुंज नामक इस भव्य भवन तथा चित्ताकर्षक बगीचे की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई थी. बगीचे को देखने के लिए हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह आदि जगहों से लोग आते थे. यहां के सुंदर बगीचे में कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है.
Also Read: हजारीबाग लोकसभा चुनाव 2024: बीजेपी लगा चुकी है हैट्रिक, इस बार किसके सिर सजेगा ताज?
जनरल के परिजनों ने 2014 में बेच दिया शांतिकुंज:
बताया जाता है कि देशकाल के अनुसार सरिया से धीरे-धीरे बंगाली परिवार ने अपना आशियाना समेटना शुरू कर दिया. अपनी अचल संपत्ति बेचते हुए सभी पश्चिम बंगाल लौटने लगे. इसी कड़ी में जेएन चौधरी के परिजनों ने भी वर्ष 2014 में स्थानीय लोगों के हाथ अपने उस बंगले को बेच दिया. खरीदार ने परती जमीन को तो टुकड़े-टुकड़े में बेच दिया, पर बंगले की सुंदरता को खरीदार ने आज भी संजोकर रखा हुआ है.