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सर्पदंश के बाद गोल्डेन टाइम को नहीं करें बर्बाद

जिले में बारिश के मौसम में अचानक सर्पदंश के मामले बढ़े हैं. सर्पदंश से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग अभी भी इलाजरत हैं.

कोडरमा बाजार. जिले में बारिश के मौसम में अचानक सर्पदंश के मामले बढ़े हैं. सर्पदंश से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग अभी भी इलाजरत हैं. जानकारों की मानें, तो सर्पदंश के बाद कुछ घंटा गोल्डेन टाइम होता है. इस बीच यदि मरीज को चिकित्सकीय उपचार मिल जाये, तो उसकी जान बच सकती है. कई मामले ऐसे भी आये हैं, जब सर्पदंश के बाद लोग झाड़फूंक के चक्कर में पड़ते हैं और समय की बर्बादी करते हैं. इससे जानमाल को नुकसान पहुंचता है. स्वास्थ्य विभाग और जानकारों के अनुसार कोडरमा का भौगोलिक स्वरूप पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण प्रायः वर्षा के दिनों में सर्पदंश के मामले हर वर्ष बढ़ जाते हैं. स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों पर गौर करें तो मई, जून और जुलाई में अब तक सर्पदंश के 23 मामले आ चुके हैं. हालांकि इनमें एक की भी मौत सदर अस्पताल में नहीं हुई. एक मरीज की मौत रिम्स जाने के दौरान रास्ते में हो गयी. ग्रामीण इलाकों में जागरूकता का अभाव:

सबसे बड़ी विडंबना है कि ज्यादातर लोग सर्पदंश की घटना के बाद जागरूकता के अभाव में अथवा अंधविश्वास के कारण इलाज के बजाय पीड़ित को झाड़फूंक के सहारे ठीक कराने का प्रयास करते हैं. इससे मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है और पीड़ित की असमय मौत हो जाती है. कभी-कभी तो पीड़ित व्यक्ति की मौत के बाद भी झाड़फूंक के जरिये उसे पुनः जीवित करने का प्रयास किया जाता है.

करैत, कोबरा व वाइपर अधिक खतरनाक:

जानकारों की मानें तो कोडरमा समेत पूरे राज्य में सांप की कई प्रजातियां पायी जाती है़ इनमें से तीन ही जहरीले होते हैं करैत, कोबरा (गेहूंअन) और वाइपर. इसे आम बोलचाल की भाषा मे चित्ती सांप भी कहा जाता है. इन सांपों के काटने पर जल्द इलाज नहीं होने से पीड़ित की मौत हो जाती है. करैत सांप सबसे अधिक जहरीला होता है, लेकिन कोबरा ज्यादा खतरनाक होता है. यह डंसने के दौरान एक बार में ज्यादा जहर छोड़ता है. इससे पीड़ित की स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाती है. जहरीला सर्प और बगैर जहरवाले सांप के काटने के निशान अलग-अलग होते हैं. जहरीला सांप जहां काटता है, वहां गहरा निशान हो जाता है, जबकि बिना जहरवाले सांप में स्थिति अलग होती है.

सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को ऐसे पहचानें : डॉ रविकांत सिंह

सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ रविकांत सिंह ने बताया कि सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को जहरीले सर्प ने काटा है, तो उसपर सर्प के दो दांत का निशान होगा. यदि विषहीन सांप ने काटा है तो उसका कोई निशान नहीं बनता है. तीनों जहरीले सांपों के काटने की कुछ अलग-अलग पहचान भी होती है. यदि किसी को कोबरा (गेहूंअन) ने डंसा है, तो पीड़ित व्यक्ति आंख खोलने का प्रयास करता है, मगर खोल नहीं पाता. उसका स्नायुतंत्र और तंत्रिकातंत्र कमजोर हो जाता है. लकवा और सांस लेने में तकलीफ होती है. करैत सांप से पीड़ित व्यक्तियों में स्नायु तंत्र के साथ-साथ तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो जाता है. रक्त में आरवीसी हो जाती है. यही कारण है कि इसे कोबरा से भी खतरनाक माना जाता है. वाइपर (चित्ती) सांप डंसे व्यक्ति का सिर्फ परिवहन तंत्र में असर रहता है. यह सांप शरीर के जिस हिस्से में डंसता है, वहां काफी सूजन होता है. इसके अलावा सांप डंसे व्यक्ति में जख्म के चारों ओर सूजन, जलन, लाल होना, त्वचा के रंग में बदलाव, दस्त, पेट दर्द, सिर दर्द, नब्ज तेज होना, थकान, प्यास लगना, धुंधली दृष्टि आदि लक्षण भी दिखाई देते हैं.

सांप डंसने के बाद क्या करें और क्या नहीं करें.

डॉ रविकांत ने बताया कि यदि किसी को सांप ने डंसा है, तो उस सांप को पकड़ने अथवा मारने में समय बर्बाद न करें. हो सके तो पहचान के लिए उसका फोटो लें. मरीज को चलने फिरने नहीं दें, इससे जहर पूरे शरीर में फैलने की आशंका रहती है. शरीर के जिस अंग में सर्पदंश हुआ है, उस जगह को अच्छी तरह डेटोल से साफ कर दें. साफ पट्टी हल्के से बांध दें. उसे सोने नहीं दें. जितना जल्दी हो सके उसे नजदीकी अस्पताल ले जायें, ताकि अविलंब उसका इलाज शुरू हो सके. बरसात के दिनों में जमीन पर सोने से परहेज करें.

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एंटी स्नैक इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है : सिविल सर्जन

सर्पदंश के मामले को देखते हुए एंटी स्नैक इंजेक्शन (एवीएस) क्रय कर सदर अस्पताल समेत जिले के विभिन्न सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध कराया गया है. सांप के डंसने की दवा और इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.

डॉ अनिल कुमार, सिविल सर्जन

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