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शहीद-ए-आजम कॉन्फ्रेंस का हुआ आयोजन

मुहर्रम के मौके पर योगियाटिल्हा पंचायत के गरचांच गांव में शहीद-ए-आजम कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.

कर्बला के असल पैग़ाम को समझें और अमल करें. 8कोडपी15 कॉन्फ्रेंस में शामिल वक्ता. प्रतिनिधि जयनगर. मुहर्रम के मौके पर योगियाटिल्हा पंचायत के गरचांच गांव में शहीद-ए-आजम कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में भारी संख्या में अकीदतमंद शामिल हुए. पूरे माहौल में इमाम हुसैन (अ.स) और उनके जानिसार साथियों की यादें ताज़ा हो गयी. कॉन्फ्रेंस में कई जाने-माने उलेमाओं और धर्मगुरुओं ने शामिल हुए. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मौलाना जावेद नज़मी (बोकारो) ने कहा कि कर्बला कोई जंग नहीं थी, यह हक और बातिल के बीच एक फैसला था. इमाम हुसैन (अ.स) ने पानी न मिलने के बावजूद अपने उसूलों से समझौता नहीं किया. उन्होंने यज़ीद की बैअत से इंकार कर यह बता दिया कि जुल्म के सामने झुकना इमामत का रास्ता नहीं होता. कर्बला में सिर्फ 72 लोगों ने नहीं, बल्कि इंसानियत, इखलाक और हिम्मत ने जीत हासिल की थी. कर्बला हमें सिखाता है कि सच्चाई की राह पर चाहे कितनी ही तकलीफ़ें क्यों न हों, उस रास्ते को कभी नहीं छोड़ना चाहिए. इमाम हुसैन (अ.स) का मक़सद सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं था, बल्कि समाज को ज़ुल्म से निजात दिलाना था. संचालन अब्दुल वाहिद ने किया. वक्ताओं ने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में आपसी भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत मिलती है. उन्होंने युवाओं से अपील की कि कर्बला के असल पैग़ाम को समझें और अपनी ज़िंदगी में अमल करें. जलसे में शायर दिलबर शाही, ज़मजम फतेहपुरी, तबारक अंजुम सहित कई लोग मौजूद थे.

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