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जगन्नाथपुर मेला: भक्ति, खरीदारी और झूलों का अनोखा संगम

जगन्नाथपुर मेला में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के दर्शन करने लाखों लोग सुबह चार बजे से ही पहुंचने लगे थे.

रांची. जगन्नाथपुर मेला में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के दर्शन करने लाखों लोग सुबह चार बजे से ही पहुंचने लगे थे. श्रद्धालुओं ने सर्वप्रथम विग्रहों का दर्शन किया. इसके बाद मेला का लुत्फ उठाया. मेला में हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ है. लोगों ने घरेलू आवश्यक सामान के अलावा साज-सज्जा, खिलौने आदि की खरीदारी की. मेला में छोटे-बड़े हर किसी के हाथों में सामान नजर आ रहे थे. कोई मैना खरीद कर लेकर जा रहा था तो कोई तीन धनुष. मेला में मैना 1500 रुपये और तीर-धनुष 250 रुपये में बिक रहा है. मेला में साड़ी, सूट, चुनरी, चूड़ी, बिंदी सहित अन्य शृंगार सामग्री की खूब बिक्री हुई. मेला में पारंपरिक वाद्य यंत्र से लेकर मछली पकड़ने वाले जाल, तीर-धनुष, विभिन्न प्रजाति की पक्षियों की खास मांग देखी गयी. ग्रामीण इलाके से आये अधिकांश लोगों के हाथों में मछली पकड़ने वाले जाल, कृषि औजार दिखे, जो खरीद कर अपने-अपने घर जा रहे थे.

पत्थर की थाली और कटोरी

मेला में कई जगहों पर पत्थरों से बने थाली, कटोरी, दीया, शिवलिंग सहित अन्य सामग्री की बिक्री हो रही है. टाटा के रंताकांता ने बताया कि पिछले तीन साल से पत्थरों के आइटम की दुकान लगा रहे हैं. इसमें पत्थर पर नक्काशी किया हुआ दीया 25-30 रुपये प्रति पीस, शिवलिंग 120-350, थाली 350 रुपये प्रति पीस, कटोरी 150 रुपये पीस में बेच रहे हैं. पहले दिन कम बिक्री हो रही है लेकिन नौ दिनों में सारा सामान बिक जायेगा. लोगों ने अपने हाथों पर मेहंदी और टैटू भी बनवाया.

मांडर का पइला, कोलकाता का बेलन-चौकी

मेला में मांडर से ममता देवी एल्युमिनियम और पीतल का पइला बना कर बेचने आयी हैं. वह बताती हैं कि पहली बार मेला में बेचने आयी हैं. अच्छी बिक्री हो रही है. पहले घर के लिए बनाया करती थीं. यह पइला सौ ग्राम से एक किलो तक वजन नापने के लिए है. पीतल का पइला 800-1500 रुपये तक का है. वहीं कोलकाता के सीमांत ने बताया कि लकड़ियों से बनी बेलन-चौकी सहित अन्य सामान बेचने आये हैं. सामान की बिक्री अच्छी हो रही है.

बांस की चूड़ी और तीर-धनुष

मेला में लोग अपनी जरूरत के सामानों के साथ घरों की सजावट के सामान की भी खूब खरीदारी कर रहे हैं. इसमें बांस की बनी मैगजीन, पॉट, पेन स्टैंड, चाभी रिंग स्टैंड, वॉल हैंगिंग, लाइट सहित अन्य सामान हैं, जो कि 70-600 रुपये तक में बिक रहे हैं. चान्हो से आयी आठ महिलाओं के समूह ने बांस से बने सामान की दुकान लगायी है. इसमें 60 रुपये की बांस की चूड़ी सबसे ज्यादा डिमांड में है. कविता देवी ने बताया कि वाे 20 सालों से मेले में दुकान लगा रहीं हैं. अच्छी बिक्री हो जाती है. इसके अलावा मेला में सबसे ज्यादा तीर-धनुष 250 रुपये, मछली जाला 250 रुपये तक बिका.

मेला में 20 से अधिक झूले

मेला में खरीदारी के अलावा लोगों ने झूले, मौत का कुआं, मीना बाजार, क्राफ्ट बाजार का आनंद उठाया. इस बार मेला में 20 से अधिक बड़े झूले लगाये गये हैं. इसमें फ्रिसबी, रेंजर, 28 चेयर बड़ा झूला, बड़ा नाव, ड्रैगन ट्रेन, टोरा टोरा, डांसिंग फ्लाइ, चांद-तारा सहित अन्य झूले शामिल हैं. वहीं बच्चों के लिए मिक्की माउस, हेलीकॉप्टर, बेबी ट्रेन, सुनमुन झूला आदि हैं. मौत का कुआं में बाइक के अलावा मारुति कार का भी हैरतअंगेज करतब कलाकारों द्वारा दिखाया जा रहा है.

मउर चढ़ाने की परंपरा निभायी

जगन्नाथपुर मेला में कई परंपराएं निभायी गयीं. इसमें मउर चढ़ाने की परंपरा भी शामिल है. मउर चढ़ाने के लिए काफी लोग पहुंचे. मान्यता है कि नवविवाहित जोड़े की शादी के मउर और माला चढ़ाने से वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है.

मिठाई दुकानों पर जुटी रही भीड़

मेला में आये लोगों ने पूजा के बाद लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाया. विभिन्न स्टॉलों पर चाउमिन, गोलगप्पा, सब्जी-पुरी, दाल-भात, आइसक्रीम, धुस्का, बालूशाही, गुलगुला और गाजा का स्वाद चखा. मेले में गाजा 160 से 180 रुपये के बीच बिका.

100 रुपये में शर्ट और 150 में कुर्ती

मेला में कई जगहों पर स्टॉल लगाये गये हैं, जहां विक्रेताओं द्वारा 100 रुपये में शर्ट व टी-शर्ट बेचा जा रहा था, जिसे लेने के लिए लोगों की काफी भीड़ लगी हुई थी. वहीं दूसरे स्टॉल में 150 रुपये में महिलाओं के लिए कुर्ती बेचा जा रहा था.

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