रांची. लोक उपक्रम संस्था से सेवानिवृत्त हिनू (रांची) निवासी 85 वर्ष के एक बुजुर्ग से 1.39 करोड़ रुपये का साइबर फ्रॉड किया गया था. मामले में इस गिरोह के एक शातिर सदस्य को सीआइडी की साइबर थाना पुलिस ने हिमाचल के सिरमौर जिले के राजगढ़ से गिरफ्तार किया है. आरोपी का नाम सुभाष चंद्र उर्फ सुभाष शर्मा है. उसके पास से एक मोबाइल, एक सिम, एक एटीएम और एक आधार कार्ड बरामद किया गया है. यह गिरोह चाइना मॉड्यूल के तहत साइबर फ्रॉड को अंजाम देता है. पुलिस के अनुसार आरोपियों ने बुजुर्ग को वीडियो कॉल कर खुद को सीबीआइ का अधिकारी बताया था. कहा गया कि मनी लॉन्ड्रिंग के केस में किसी मित्तल से जुड़े मामले में आपका नाम है, इसलिए आपको डिजिटल अरेस्ट किया जाता है. इन साइबर अपराधियों ने बुजुर्ग को एक-दो दिन नहीं, बल्कि 20 दिन तक मानसिक रूप से प्रताड़ित कर डिजिटल अरेस्ट करके रखा था. कहा गया कि अगर बचना है, तो जिस अकाउंट में बताया जा रहा है, उसमें पैसे ट्रांसफर करते रहिए. इस तरह बुजुर्ग से 1.39 करोड़ रुपये की साइबर ठगी की गयी. साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान नहीं है. कोई भी एजेंसी ऐसा नहीं करती. इस मामले में पूर्व में हैदराबाद से बी इशाक अहमद, कुन्नापल्ली सुब्रमण्या शर्मा और मिजोरम से लालडुसंगा को गिरफ्तार किया जा चुका है.
समिति के नाम पर खोले गये खाते में जमा होती थी राशि
धोखाधड़ी की रकम मामले की जांच में यह बात सामने आयी कि गिरफ्तार आरोपी सुभाष चंद्र ने मेसर्स महिला समाज कल्याण समिति के नाम पर यस बैंक में खाता संख्या 022388700000337 खुलवाया था. उसी खाते में पीड़ितों से पैसा जमा कराया जाता था. इसके बाद वह रकम अन्य खातों में ट्रांसफर कर दी जाती थी. उक्त खाते में चार दिनों में तीन करोड़ 10 लाख 32 हजार 667 रुपये क्रेडिट हुए थे. नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल के अनुसार, इस खाते से संबंधित हरियाणा में दो, केरल में सात, राजस्थान में एक, असम में एक, दिल्ली में एक, जम्मू-कश्मीर में एक, कर्नाटक में दो, महाराष्ट्र में एक, तमिलनाडु में पांच, उत्तराखंड में एक, झारखंड में एक और तेलंगाना में चार. इस प्रकार कुल 27 शिकायतें दर्ज की गयीं थीं.
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