रांची. सोनाहातू इलाके के दो बड़े पुलों के ढहने के मामले में चार वर्ष बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है. इस मामले में अभी भी इंजीनियर और ठेकेदार बचे हुए हैं. दोनों पुल ग्रामीण कार्य विभाग के अंतर्गत मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना से बने थे. अब जाकर ग्रामीण विकास सह ग्रामीण कार्य विभाग की मंत्री दीपिका पांडेय ने मामले को गंभीरता से लिया है. साथ ही दोषियों को चिह्नित करके उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
मुख्य अभियंता ने नहीं सौंपी रिपोर्ट
मंत्री ने विशेष प्रमंडल के मुख्य अभियंता को इस मामले में कहा है कि सिल्ली विधानसभा क्षेत्र के दो पुल कई वर्षों से क्षतिग्रस्त हैं. इस पर कोई अंतिम जांच तक नहीं हो सकी है. उन्होंने मुख्य अभियंता को निर्देश दिया कि जांच की कार्रवाई पूरी करायें. साथ ही तीन दिनों में विभाग को इसका प्रतिवेदन भी दें, ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो. करीब 15 दिन होने को हैं. इसके बावजूद अभी तक विभाग को इसकी जांच की फाइनल नहीं मिली है.क्या है मामला
सोनाहातू इलाके में हराडीह-बूढ़ाडीह पुल यास तूफान में मई 2021 में धंस गया था, जिससे आवागमन ठप हो गया. बाद में इसकी जांच के लिए उच्चस्तरीय जांच कमेटी बनी. कमेटी ने करीब एक साल बाद इसकी जांच की. जांच में पुल गिरने का कारण पुल की खराब गुणवत्ता बताया गया पर, यह रिपोर्ट दबी रह गयी. इस जांच रिपोर्ट को लेकर विभाग ने विशेष प्रमंडल के मुख्य अभियंता से कार्रवाई की अनुशंसा मांगी, लेकिन यह लटका रह गया. ऐसे में कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं सोनाहातू-तमाड़ को जोड़नेवाला बामलाडीह पुल का एक स्पेन जुलाई 2021 में धंस गया था. इसके कुछ ही दिन बाद आठ अगस्त को इसका तीन स्लैब गिर गया था. इस मामले की जांच अब तक नहीं हो सकी. इसे लेकर काफी सवाल भी उठे. यह पुल वर्ष 2014 में ही बना था. ऐसे में छह साल बाद ही गिर जाने को गंभीरता से लिया. यह मामला विधानसभा में भी उठा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है