रांची.
झारखंड स्टेट बार काउंसिल की ऑनलाइन बैठक रविवार को काउंसिल के चेयरमैन राजेंद्र कृष्णा की अध्यक्षता में हुई. इसमें सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर झारखंड स्टेट बार काउंसिल द्वारा अधिवक्ताओं के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के किये जा रहे सत्यापन की स्थिति पर विमर्श किया गया. अधिवक्ताओं को वेरिफिकेशन फाॅर्म भरने के लिए 10 दिनों का आखिरी मौका देने का निर्णय लिया गया.2000 रुपये दंड के साथ फॉर्म लिया जायेगा
बैठक में कहा गया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से निर्धारित 2000 रुपये दंड के साथ फॉर्म लिया जायेगा. इसकी सूचना सभी बार एसोसिएशन को भेजी जायेगी. इसके बाद फाॅर्म भरने का कोई मौका नहीं मिलेगा. जिन्होंने फाॅर्म नहीं भरा है, उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई होगी. सत्यापन का कार्य 1991 से 2010 तक की अवधि का किया जा रहा है. वर्ष 2010 के बाद के अधिवक्ताओं से डिक्लेरेशन लिया जा रहा है. बैठक में 30 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले पर होनेवाली सुनवाई में झारखंड स्टेट बार काउंसिल की ओर से शपथ पत्र दाखिल करने का निर्णय लिया गया.
सर्वोच्च न्यायालय ने नोटिस भेजा है
मालूम हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने देश की सभी स्टेट बार काउंसिल को 30 जुलाई को अदालत में उपस्थित होने के लिए नोटिस भेजा है. इससे पहले बैठक में बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन राजेश कुमार शुक्ल ने 25 मई को सर्वोच्च न्यायालय की हाई पावर कमेटी के समक्ष रखे गये प्रतिवेदन की जानकारी दी. बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य प्रशांत कुमार सिंह ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय की हाई पावर कमेटी झारखंड के वेरिफिकेशन की स्थिति से संतुष्ट थी. बैठक में अमर सिंह, बालेश्वर प्रसाद सिंह, संजय कुमार विद्रोही, धर्मेंद्र नारायण, मृत्युंजय श्रीवास्तव, अब्दुल कलाम रशीदी, राधेश्याम गोस्वामी व परमेश्वर मंडल मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है