Jharkhand News: आजसू के संस्थापक सदस्य सह झारखंड आंदोलनकारी पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा और आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सह राज्य के पूर्व गृहमंत्री सुदेश महतो के बीच हुई मुलाकात को लेकर अब सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है. मालूम हो रांची के अनगड़ा में सुदेश महतो और सूर्य सिंह बेसरा की मुलाकात हुई थी. लंबे अरसे के बाद घोर विरोधी रहे सूर्य सिंह बेसरा और सुदेश महतो किसी सार्वजनिक आयोजन में एक साथ नजर आये.
सुदेश महतो ने पैर छू कर लिया आशीर्वाद
रांची के पूर्व एमएलसी स्व छत्रपति शाही मुंडा की पत्नी और भारत आदिवासी पार्टी के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा की माता पुष्पा रानी शाही मुंडा (80) के श्राद्धकर्म में शामिल होने के लिए वहां उक्त दोनों नेताओं के अलावा पूर्व सांसद राम टहल चौधरी, प्रभाकर तिर्की समेत अन्य कई नेता पहुंचे थे. इस दौरान वहां काफी देर तक इन दोनों नेताओं के बीच गंभीर व हल्के वातावरण में बातचीत हुई. मालूम हो काफी लंबे अरसे से दोनों नेताओं के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी, लेकिन कल बुधवार को जब मिले तो खूब बातें की. इस दौरान सुदेश महतो ने संस्कार निभाते हुए सूर्य सिंह बेसरा के पैर भी छूए, तो बेसरा ने भी उन्हें पकड़ कर अपने पास बैठाया और पीठ पर थपकी दी. हलांकि इसके बाद खाने के मेज पर दोनों अगल-बगल ही बैठे.
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तीसरा मोर्चा बनाने पर हुई बात
झारखंड आंदोलनकारी व बेबाक नेता सूर्य सिंह बेसरा से जब इस संबंध में पूछा गया तो वे बोले, हां बात तो हुई है. झारखंड में 2029 चुनाव के पहले तीसरा मोर्चा कैसे बने, इसको लेकर चर्चा भी हुई. जहां तक पूर्व गृहमंत्री सुदेश महतो के साथ तीसरे मोर्चे का संबंध का सवाल है, तो तभी संभव हो पायेगा, जब वे एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) से बाहर निकले. जब तक सुदेश महतो का मोह भाजपा से भंग नहीं होगा, तब तक उनकी तीसरे मोर्चे में इंट्री का सवाल ही पैदा नहीं होता.
जोश व होश वाले नेता होंगे शामिल
सूर्य सिंह बेसरा ने बताया कि तीसरे मोर्चा को लेकर वे लगातार कई क्षेत्रीय दलों के नेताओं से संपर्क में है. यह मोर्चा भाजपा-कांग्रेस-झाममो के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदेश स्तर पर तैयार होगा. इसको लेकर कई चरणों की बैठकें भी आयोजित की जा चुकी हैं. तीसरे मोर्चे में जोश व होश वाले नेताओं को शामिल किया जायेगा. उन्होंने कहा उन्हें झारखंड व जनता की जिम्मेदारियों का एहसास है, सिर्फ भाषण या पत्राचार से झारखंड का विकास नहीं होनेवाला है. इसलिए तीसरे मोर्चा में गंभीर व जमीनी नेताओं को शामिल किया जायेगा, ताकि 2030 के बाद ही सही, लेकिन झारखंड की नई तस्वीर फिर से लिखी जा सके.
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