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Exclusive: बाबूलाल मरांडी बोले- चंपाई सोरेन बिचौलियों से नहीं घिरे, जेल से आदेश के दबाव में भी अच्छा काम किया

बाबूलाल मरांडी का कहना है कि विधानसभा चुनाव में इंडी गठबंधन को जनता बेदखल करेगी. भाजपा के पास ऐसे कई मुद्दे हैं, जिसका जवाब इनके पास नहीं है.

रांची : पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा को प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि चंपाई सोरेन का पांच महीने का कार्यकाल बेहतर रहा है. इन पर कोई आरोप नहीं लगे. सरकार बिचौलियों से नहीं घिरी थी. मरांडी का कहना था कि विधानसभा चुनाव में इंडी गठबंधन को जनता बेदखल करेगी. भाजपा के पास ऐसे कई मुद्दे हैं, जिसका जवाब इनके पास नहीं है. हेमंत सोरेन के विश्वास मत के बाद प्रभात खबर से बात की.

Q. हेमंत सोरेन ने तीसरी बार सीएम की कुर्सी संभाली है. आसानी से बहुमत हासिल कर लिया, क्या कहेंगे?

वर्तमान सरकार के पास आंकड़ा था, तो विश्वास मत हासिल करने में परेशानी कहां थी. सदन में विश्वास मत हासिल किया, लेकिन जनता का विश्वास खो चुके हैं. राज्य की जनता जान गयी है कि ये लोग खुद को छोड़ कर किसी को आदिवासी नहीं मानते हैं. आदिवासी का मतलब हेमंत सोरेन नहीं है. चंपाई सोरेन आंदोलनकारी थे, सीनियर लीडर थे, लेकिन उन्हें हटा दिया. सोरेन परिवार सत्ता परिवार से बाहर के लोगों को दे ही नहीं सकता है.

Q. चंपाई सोरेन का पांच महीने का कार्यकाल कैसा रहा ?

चंपाई सोरेन के मुख्यमंत्री रहते कोई आरोप उन पर नहीं लगा. चंपाई सोरेन की सरकार बिचौलियों से नहीं घिरी थी. हेमंत सोरेन की सरकार तो बिचौलिए और लूट-खसोट करने वाले ही चला रहे थे. चंपाई सोरेन की सरकार में घोटाले का कोई दृश्य सामने तो नहीं आया है. चंपाई सोरेन के लिए विकट परिस्थिति थी. जेल से भी हेमंत सोरेन का आदेश मिलता था. पत्नी कल्पना सोरेन का आदेश अलग से होता था. भाई बसंत सोरेन भी आदेश देते थे. लेकिन चंपाई सोरेन ने समझदारी से सरकार चलायी.

Q. विधानसभा की 28 आदिवासी आरक्षित सीटें कितनी बड़ी चुनौती होगी?

कहीं कोई चुनौती नहीं है. लोकसभा चुनाव का परिणाम देखिए, हम 52 सीटों पर आगे हैं. तब मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की सीट पर एनडीए को बढ़त मिली. इनके मंत्री अपनी सीट नहीं बचा पाये. इस जनादेश से साफ है कि राज्य सरकार के विरोध में लोगों ने वोट किया. इंडी गठबंधन के लोग किस बात की खुशी मना रहे हैं, मालूम नहीं है. हम आदिवासी सीटों पर पूरी मजबूती से लड़ेंगे. इस सरकार ने आदिवासियों के लिए कुछ नहीं किया. केवल अपने परिवार के लिए लूट-खसोट की.

Q. लोकसभा में आपको बड़ा झटका लगा. सारे के सारे आदिवासी सीट हार गये?

चुनाव में हमें कहां धक्का लगा है. 14 सीटों में हम आठ सीट जीते. एनडीए नौ सीट जीत कर आया है. जिन सीटों को हम जीते हैं, भारी मतों से जीते. जीत का अंतर देख लीजिए. हमारा वोट पहले से बढ़ा है. राज्य में इंडी गठबंधन से हम 15-16 लाख ज्यादा वोट लाये हैं. आरक्षित सीट जरूर हारे हैं. विरोधियों ने अलग-अलग हथकंडा अपनाया है.

Q. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जेल से बाहर आ गये हैं. मुख्यमंत्री का कहना है कि एक साजिश को तहत फंसाया गया?

भ्रष्टाचार किया है, तो जेल गये. ईडी ने जो सबूत पेश किये, उसके आधार पर कोर्ट ने जेल भेजने का आदेश दिया. इनको कोर्ट से ही बेल मिला है. अभी बरी नहीं हो गये हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल गये. अदालत ने इनको बेल नहीं दिया. अगर निर्दोष हैं, तो बेल क्यों नहीं मिली. जेल जाने और बेल मिलने में भाजपा कहां है. कानून अपना काम कर रहा है. वे कहते हैं बीजेपी सत्ता का दुरुपयोग कर रही है. हेमंत सोरेन को बताना चाहिए कि उनके पिता शिबू सोरेन को जेल किसने भेजा था. कांग्रेस की फितरत रही है, सत्ता का दुरुपयोग करना.

Q. आनेवाले विधानसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा, समीर उरांव, अरुण उरांव और आशा लकड़ा जैसे बड़े नेता आदिवासी सीट से उतारे जा सकते हैं?

यह चुनाव समिति तय करती है. हमसे केवल सुझाव मांगा जाता है. किस नेता को कहां से पार्टी चुनाव लड़ायेगी, सबकुछ सामूहिक निर्णय से तय होगा.

Prabhat Khabar Digital Desk
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