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चीन बहाना बनाकर उर्वरक बनाने का कच्चा माल देने से कर रहा मना

गुजरात के गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर कन्वेंशन सेंटर में आयोजित सोल्यूबल फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसएफआइए) के ओएमएस-2025 सम्मेलन सह पत्रकार सम्मान समारोह में आने वाले समय में भारतीय खेती में उर्वरकों की उपलब्धता पर चिंता व्यक्त की गयी.

रांची. गुजरात के गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर कन्वेंशन सेंटर में आयोजित सोल्यूबल फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसएफआइए) के ओएमएस-2025 सम्मेलन सह पत्रकार सम्मान समारोह में आने वाले समय में भारतीय खेती में उर्वरकों की उपलब्धता पर चिंता व्यक्त की गयी. सम्मेलन के तकनीकी सत्र में कृषि में नयी तकनीकी पर शोध पेपर प्रस्तुत किया गया. इसमें बताया गया कि चीन ने उर्वरक बनाने वाले कई रॉ मटेरियल (कच्चा माल) देना कम या बंद कर दिया है. इसके लिए कोई लिखित आदेश नहीं दिया गया है, लेकिन कोरेंटिन संबंधी बहाना बनाकर ऐसा किया जा रहा है. बताया गया कि पिछले छह माह में चीन के छह पोर्ट से एक भी एनपीके के लिए जरूरी अमोनियम फॉस्फेट नहीं भेजा गया है. चाउजिंग पोर्ट से 2023 में आठ हजार एमटी अमोनियम फॉस्फेट भेजा गया था. 2025 में मात्र एक हजार एमटी ही भेजा गया है. यही स्थिति अन्य रॉ मेटेरियल की है. इसका विकल्प भारत को सोचना चाहिए. किसानों को बताना चाहिए कि क्या इसका विकल्प हो सकता है. ऐसा नहीं होने से भारतीय खेती पर असर पड़ेगा. सम्मेलन का उद्घाटन गुजरात सरकार में कृषि, पशुपालन, गो पालन एवं मत्स्य पालन मंत्री राघवजीभाई हंसराजभाई पटेल ने किया. उन्होंने कहा कि भारत में कृषि तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रही है. इसमें एग्री उद्यमियों की भूमिका अहम है. आने वाले समय में भारत खाद के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभायेगा.

नवाचार और शोध को बढ़ावा संस्था की प्राथमिकता

एसएफआइए के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीब चक्रवर्ती ने कहा कि कृषि और फर्टिलाइजर सेक्टर में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करना, रिसर्च और फील्ड के बीच की दूरी को पाटना संस्था की प्राथमिकता है. सोल्यूबल ऑर्गेनिक मैन्यूअर को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध, नॉन-रेजिड्युअल और किसानों के लिए भरोसेमंद विकल्प है. इसे पहले से ही पांच करोड़ किसान अपना रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार समान एफसीओ नियमों को सभी राज्यों में लागू करे तो भारतीय निर्माताओं को चीनी कंपनियों के मुकाबले बराबरी का मौका मिल सकता है. कार्यक्रम में आइसीएआर के डॉ कौशिक बनर्जी, डॉ पीके डे भी मौजूद रहे.

मनोज सिंह को भी मिला एग्री जर्नलिज्म अवार्ड

इस मौके पर कृषि पत्रकारिता में काम करने वाले 10 पत्रकारों को एग्री जर्नलिज्म अवार्ड से सम्मानित किया गया. इसमें प्रभात खबर के मुख्य संवाददाता मनोज सिंह भी शामिल थे. उनको गुजरात के कृषि एवं पशुपालन मंत्री राघवजीभाई हंसराजभाई पटेल ने सम्मानित किया. निर्णायक मंडली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संयुक्त निदेशक डॉ. आरएन परीदा, पत्रकार कल्याण कुमार सिन्हा तथा डॉ. सुहाष बुद्धे थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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