डकरा. हिंद मजदूर सभा (एचएमएस) की हिंद खदान मजदूर फेडरेशन की जो कमेटी पिछले दिनों घोषित हुई है, उसमें गैर कोयला कर्मियों को प्राथमिकता दिये जाने से वैसे कोल कर्मी निराश हैं, जो यूनियन में कोयला कर्मियों की भागीदारी बढ़ाने की मांग सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से बुलंद करने में लगे हुए हैं. जानकारी अनुसार करीब दो तिहाई गैर कर्मचारी विभिन्न पदों एवं कार्यसमिति सदस्य के रूप में नामित किये गये हैं. फेडरेशन के सभी महत्वपूर्ण पदों पर लगभग गैर कर्मचारी काबिज हो गये हैं. केंद्रीय श्रमिक संगठन एचएमएस से संबंद्धता प्राप्त श्रमिक संगठन से जुड़े कोयला कर्मियों ने बताया कि स्वयं महामंत्री हरभजन सिंह सिद्धु तो कोयला क्षेत्र से हैं भी नहीं. ऐसे में वे कोयला मजदूरों की समस्या को कितना समझते होंगे, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. अभी कुछ दिन पहले डब्ल्यूसीएल के केएसएस के सदस्य बने हैं. ऐसे नाराज लोग बताते हैं कि भारत सरकार जिस प्रकार बदलाव की तैयारी में लगी हुई है. इसके लिए ऐसे नेता ही ज्यादा जिम्मेदार हैं, जो किसी भी परिस्थिति में पद से चिपके रहना चाहते हैं. वे काम समझते हैं या करा पाते हैं, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं रहता. जो कमेटी बनी है उसमें अध्यक्ष रेशम लाल यादव, कार्यकारी अध्यक्ष सिद्धार्थ गौतम, उपाध्यक्ष नाथूलाल पांडेय, शिवकांत पांडेय, अशोक पांडेय, अर्जुन सिंह, रणविजय सिंह, महामंत्री हरभजन सिंह सिद्धु, सहायक महामंत्री राघवन रघुनंदन, अख्तर जावेद उस्मानी, सचिव रंजय सिंह संगठन सचिव एमपी अग्निहोत्री, राकेश कुमार कोषाध्यक्ष शंकर बेहरा, कार्यसमिति सदस्य बीएन सिंह, चंदेश्वर सिंह, एसएस डे, बिशुनदेव नोनियां, राधेश्याम सिंह सभी गैर कर्मी हैं. इस कमेटी में सहायक महामंत्री शिवकुमार यादव, सचिव राजेश सिंह, शरद डिंडे, संगठन सचिव विनय सिंह, कार्यसमिति सदस्य साबिर सिद्दीकी, ललिता देवी, ज्योति प्रशांत बिल्सरे, संजीव कुमार सिंह कर्मी हैं. वहीं प्रणव पटेल और प्रबल प्रताप सिंह के बारे में जानकारी नहीं मिल पायी है. 30 सदस्यीय कमेटी में 19 कंफर्म ऐसे पदाधिकारी बने हैं, जो गैर कर्मी हैं और मात्र नौ कर्मी हैं और दो के बारे में पता नहीं चल पाया है.
इनमें अधिकांश बोर्ड सदस्य नामित हैं
इस कमेटी में शामिल अधिकांश नेता कोयला उद्योग के शीर्ष स्तर के बोर्ड सदस्य नामित हैं. यहां बताते चलें कि कोयला उद्योग में हिंद मजदूर सभा सबसे बड़ी यूनियन है, जिससे जुड़े कई ट्रेड यूनियन सीसीएल में औद्योगिक संबंध में शामिल हैं और सबसे बड़े संगठन में यह हाल है तो अन्य संगठनों से जुड़े कर्मियों की कौन सुनें?. एकमात्र बीएमएस ही ऐसा संगठन है, जिसमें कर्मियों को प्राथमिकता के साथ पदाधिकारी बनाया जाता है.सीसीएल के एनके-पिपरवार में एचएमएस से संबंद्धता प्राप्त जनता मजदूर संघ, राष्ट्रीय कोयला मजदूर यूनियन और कोल फिल्ड मजदूर यूनियन औद्योगिक संबंध में शामिल है.नया आइआर कोड के पक्ष में हैं कोयला कर्मी
भारत सरकार के नया आईआर कोड में अब मजदूर ही अपना प्रतिनिधि चुनेंगे जो कंपनी के विभिन्न समिति के सदस्य होंगे.यही नहीं 20% सदस्यों वाले संगठन ही मान्यता प्राप्त होगी और किसी संगठन ने सदस्यों की संख्या कुल मैन पाॅवर का 50% कर लिया तो वह सिंगल मान्यता प्राप्त संगठन हो जाएगी.नाराज लोग बताते हैं कि वर्तमान व्यवस्था में संगठन हमलोगों के उपर एसा नेता थोप दे रहे हैं जिन्हें हमारे हक अधिकार से ज्यादा चिंता अपनी ठेकेदारी और धंधे की रहती है.सिंगरैनी के कोयला क्षेत्र में यह लागू कर दिया गया है इस तर्ज पर सभी कंपनियों में दबी जुबान आवाज उठने लगी है.गैर कर्मी नेता भी कैंपेन चला रहे हैं
कोयला कर्मियों द्वारा सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे इस अभियान से संबंधित खबर जब पिछले दिनों प्रभात खबर में छपी तब इस खबर की प्रति पूरे कोल इंडिया स्तर पर वायरल हो गया है. इस मामले पर कर्मियों के पक्ष में लगातार हो रहे कमेंट को पढ़ कर अब गैर कर्मी नेता भी अभियान चलाना शुरु कर दिए हैं. वे दलील दे रहे हैं कि कर्मी प्रबंधन के चंगुल में जल्दी फंस जाते हैं, जिसके कारण वे एक सीमा के बाद यूनियन का काम करना बंद कर अपनी नौकरी बचाने में लग जाते हैं. इसके लिए दर्जनों बड़े नेताओं का उदाहरण भी दिया जा रहा है.
कमेटी में गैर कोयला कर्मियों को दी गयी है प्राथमिकता
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