डकरा. एनके एरिया में सीसीएल कर्मी और गैर सीसीएल कर्मी नेताओं को बोर्ड मेंबर बनाये जाने की चर्चा से चिंतित गैर कर्मी ऐसे नेताओं की पहल पर एक बैठक करने का निर्णय लिया गया है, जो अपने-अपने संगठन की ओर से सलाहकार समिति सदस्य नामित हैं. तय किया गया कि सभी यूनियन के अध्यक्ष-सचिव को आमंत्रित किया जायेगा. यह बैठक बुधवार को डकरा वीआईपी क्लब में प्रस्तावित थी, लेकिन बैठक को लेकर ऐसे सदस्य इच्छुक नहीं हैं, जो सीसीएल कर्मी हैं. सीसीएल कर्मी को ही बोर्ड मेंबर बनाये जाने की चर्चा से गैर कर्मी सहमे हुए हैं और सोशल मीडिया पर अपने पक्ष में कई तरह की दलील दे रहे हैं. ऐसे नेता बता रहे हैं कि कोयला उद्योग में कई बड़े नेता हुए, जिन्होंने मजदूरों के हित में जीवन पर्यन्त काम किया. हालांकि ऐसी दलील का कर्मियों पर कोई असर नहीं हो रहा है. तेजी से बदल रहे माहौल और इस महीने से शुरू होनेवाले सदस्यता अभियान को देखते हुए नेताओं ने अपने कार्यशैली में बदलाव करने का निर्णय कर लिया है. गैर कर्मी और एरिया स्तर पर दो बड़े बोर्ड मेंबर शैलेश कुमार ने बताया कि मैं एक दशक तक अपनी यूनियन का सचिव रहने के बाद भी किसी बोर्ड में नहीं रहा, लेकिन काॅमरेड बलिराम सिंह के निधन के बाद मजदूरों की मांग पर मुझे बोर्ड सदस्य नामित किया गया. मैं भी यह महसूस करता हूं कि हमलोग जो कर रहे हैं वह मजदूरों के पास ठीक से नहीं पहुंच पा रहा है. हम सभी संगठन के पदाधिकारी आपस में बैठ कर एक पारदर्शी व्यवस्था विकसित करेंगे, ताकि मजदूरों के बीच भ्रम की स्थिति नहीं रहे.
अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं, शिकायत भी कर रहे हैं
क्षेत्र के ट्रेड यूनियन नेता चिंतित हैं कि अधिकारी उनकी नहीं सुन रहे हैं और दबाव बनाने पर शिकायत दर्ज करा रहे हैं. केडीएच की एक महिला कार्मिक अधिकारी ने गोल्टेन प्रसाद यादव और विनय सिंह मानकी के विरुद्ध लिखित शिकायत दर्ज करायी थी कि दोनों उन पर दबाव बनाते हैं. शिकायत के आलोक में महाप्रबंधक ने केडीएच पीओ को जांच के लिए लिखा गया, लेकिन पीओ ने दोनों पक्षों को बैठा कर मामले को सुलझा लिया. अब नेता का कहना है कि अधिकारियों के पक्ष में मदद करने के बाद भी वे समय पर उन्हें नुकसान पहुंचाने का कोई अवसर नहीं गंवाते. ऐसे में अब कार्यशैली में बदलाव लाना ही बेहतर विकल्प होगा.एरिया में संयुक्त मोर्चा एक यूनियन बन गया है
एनके एरिया में संयुक्त मोर्चा एक यूनियन बन गया है. क्षेत्र में छह यूनियन औद्योगिक संबंध में शामिल हैं, लेकिन इनमें से कोई भी यूनियन स्थानीय मुद्दे पर कोई आंदोलन नहीं करती है. हर बात लोग संयुक्त मोर्चा के बैनर तले बैठक कर प्रबंधन के समक्ष जाते हैं, लेकिन गाहे-बगाहे प्रबंधन इन्हें अपने हिसाब से हैंडल करता है. यह सब ऐसे कारण बनते जा रहे हैं, जिससे श्रमिक संगठन के प्रतिनिधियों के प्रति मजदूरों का विश्वास कम हो रहा है.
बोर्ड बैठक की चर्चा नहीं करते
क्षेत्र के बोर्ड सदस्य बोर्ड में हुई बैठक की चर्चा करना भी उचित नहीं समझते. बैठक में जाने के पूर्व न अपने पदाधिकारी से मुद्दों की बात करते हैं और ना ही बैठक के बाद वहां हुई बातचीत के बारे में किसी को बताते हैं. इस गोपनीयता के कारण भी बोर्ड सदस्यों की बदनामी हो रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है