रांची. रिम्स-टू के लिए कांके स्थित नगड़ी गांव की जमीन अधिग्रहण का रैयतों व रांची के विभिन्न आदिवासी संगठनों ने विरोध किया है. बुधवार को नगड़ी बचाओ संघर्ष समिति व अन्य संगठनों द्वारा राजभवन के समक्ष धरना दिया गया. मौके पर पूर्व मंत्री देवकुमार धान ने कहा कि सरकार नगड़ी में रिम्स-टू बनाने जा रही है. जमीन हमारा जीने का संसाधन है. हमारी सरकार से मांग है कि रिम्स बनाइये पर बंजर भूमि पर, खेती की उपजाऊ भूमि पर नहीं. अगर जमीन नहीं बचेगा तो हमारा अस्तित्व खत्म हो जायेगा. केंद्रीय सरना समिति (फूलचंद तिर्की गुट) के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि यह राज्य सरकार का तानाशाही रवैया है. इससे पहले भी नगड़ी की जमीनें ली गयी हैं, अब बची खुची जमीनों पर भी सरकार की नजर है. प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि कुछ साल पहले भी नगड़ी में जमीन का जबरन अधिग्रहण किया गया. सरकार लगातार विकास के नाम पर कृषि योग्य जमीन को छीन रही है. हमलोग विकास के विरोधी नहीं हैं पर इसके लिए कृषि भूमि के अलावा भी दूसरे विकल्प हो सकते हैं. इस अवसर पर नगड़ी के विकास कुमार, निरंजना हेरेंज, कुंदरसी मुंडा, संगीता कच्छप सहित अन्य लोगों ने अपनी बातें रखी. धरना के बाद राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया. ज्ञापन में कहा गया है कि नगड़ी में पेसा कानून का उल्लंघन करते हुए बिना ग्राम सभा के परामर्श के ही नगड़ी मौजा स्थित 202.07 एकड़ जमीन को पुलिस की मदद से हड़पा जा रहा है. रैयतों ने कहा कि कभी कृषि विश्वविद्यालय के नाम पर, कभी लॉ यूनिवर्सिटी के नाम पर, कभी रिंग रोड के नाम पर लगातार नगड़ी की जमीन हड़पी जा रही है. रैयतों ने कहा कि अभी मानसून का समय है और किसानों को खेतों में होना चाहिए था पर हमलोग अपनी जमीन को बचाने के लिए खेतों की बजाय धरना पर आकर बैठे हैं. लोगों ने कहा कि अब हमलोग अपनी जमीन नहीं देंगे.
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