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Political News : कांग्रेस में बूथ सदस्यों से सीधा संवाद होगा, हर राज्य में खुलेगा साथी केंद्र

कांग्रेस पूरे देश में संगठन का नया स्वरूप देने जा रही है. बूथ कमेटी पर पार्टी का जोर होगा. बूथ कमेटी के साथ 365 दिनों का संवाद होगा.

रांची (ब्यूरो प्रमुख). कांग्रेस पूरे देश में संगठन का नया स्वरूप देने जा रही है. बूथ कमेटी पर पार्टी का जोर होगा. बूथ कमेटी के साथ 365 दिनों का संवाद होगा. बूथ, मंडल व पंचायत कमेटी के सदस्यों के साथ एआइसीसी और प्रदेश नेतृत्व का सीधा संवाद होगा. हर राज्य में कनेक्ट सेंटर खोले जायेंगे. इनको साथी केंद्र का नाम दिया जायेगा. इसके साथ ही हर सप्ताह केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर बूथ कमेटियों को टास्क दिया जायेगा. इसकी मॉनिटरिंग प्रदेश के स्तर पर होगी. तीन स्तर पर पार्टी बूथ कमेटियों को जिम्मेवारी देगी. इसमें मतदाता सूची, राजनीतिक मुद्दे और सामाजिक इश्यू पर काम करना होगा. संगठन में जिलाध्यक्षों का पावर भी बढ़ेगा. जिलाध्यक्षों की सांसद व विधायकों के टिकट बंटवारे में भूमिका तय होगी. जिलाध्यक्ष स्क्रीनिंग कमेटी और चुनाव समिति में होंगे. शुक्रवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल ने झारखंड सहित सात राज्यों (बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, असम, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड) के जिलाध्यक्षों के साथ मैराथन बैठक की. इसमें सरायकेला के जिलाध्यक्ष अंबुजा राय, लातेहार के गुर्जर उरांव और जमशेदपुर के आनंद बिहारी दुबे ने अपनी बातें रखी.

चुनाव वाले राज्यों में पहले नया फॉर्मूला अपनायेगी पार्टी

बैठक में पार्टी नेता राहुल गांधी ने कहा कि संगठन को नये तरीके से खड़ा करना है. जमीनी स्तर पर मजबूत करना है. यह मॉडल पहले गुजरात और फिर बिहार में लागू होगा. यह फॉर्मूला का प्रतिफल सही रहा, तो दूसरे राज्यों में लागू होगा. श्री गांधी ने कहा कि जिलाध्यक्ष केवल पार्टी के पदाधिकारी नहीं हैं. वे हमारे परिवार के सदस्य हैं.

हमारी सबसे बड़ी जंग सांप्रदायिक शक्तियों से है : खरगे

राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि आज हमारी सबसे बड़ी जंग सांप्रदायिक शक्तियों से है. हमारे पास राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और नायक के बताये रास्ते हैं. धर्म के नाम पर खाई पैदा की जा रही है. हमारे संदेश को जन-जन तक पहुंचायें. कांग्रेस ने 1947-48 में जैसी लड़ाई सांप्रदायिक घृणा के खिलाफ लड़ी थी, वैसे ही लड़ना होगा.

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