रांची. गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा द्वारा श्री गुरु अर्जुन देव जी के शहीदी गुरुपर्व पर दो दिवसीय समागम का आयोजन किया गया. रविवार को दीवान की शुरुआत दिन के 11 बजे स्त्री सत्संग सभा की शीतल मुंजाल द्वारा शबद गायन से की गयी. कथावाचन करते हुए गुरुद्वारा के हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह ने बताया कि गुरु अर्जुन देव जी की निर्मल प्रवृत्ति, सहृदयता और धार्मिक व मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पण भावना को देखते हुए गुरु रामदास जी ने 1581 में पांचवें गुरु के रूप में उन्हें गुरु गद्दी पर सुशोभित किया.
शबद का गायन कर साध संगत को गुरबाणी से जोड़ा
गुरुद्वारा के हुजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह ने उतर गयो मेरे मन का शंसा,जब ते दर्शन पाया,तुम शरणाई आया ठाकुर,तुम शरणाई आया… व सभे जिअ समाल अपणी मेहर कर … शबद का गायन किया . खरड़ मोहाली से आये भाई कुलविंदर सिंह ने गुरु अर्जुन देव जी की वाणी प्रभ जिओ खसमाना कर पिआरे बुरे भले हम थारे … व भाई गुरदास जी की वाणी इक बाबा अकाल रूप दूजा रबाबी मरदाना…सहित अन्य शबद का गायन कर साध संगत को गुरबाणी से जोड़ा. उन्होंने संगत को वाहेगुरु का जाप भी कराया.
गुरु का अटूट लंगर चलाया गया
सत्संग सभा के अध्यक्ष द्वारका दास मुंजाल, भाई कुलविंदर सिंह व साथियों को तथा सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने मर्चेंट नेवी राजीव नयन सिंह को गुरु घर का सरोपा ओढ़ाकर सम्मानित किया. सभा के सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने आयोजन के लिए स्त्री सत्संग सभा की सदस्यों समेत समूह साध संगत व सेवादारों को धन्यवाद किया. संचालन मनीष मिढ़ा ने किया. दोपहर 1.30 बजे से गुरु का अटूट लंगर चलाया गया, जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने पंगत में बैठकर गुरु का लंगर चखा.
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