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रांची में हजारों विश्वासी पास्का जागरण के साक्षी बने, आर्चबिशप बोले-अंतरात्मा को पुनर्जीवित प्रभु की उपस्थिति से भरें

आर्चबिशप विसेंट आईंद ने पास्का जागरण का महत्व बताया. उन्होंने कहा : गुड फ्राइडे की धर्मविधि में हमने प्रभु यीशु के क्रूस बलिदान और उन्हें कब्र में रखे जाने की बात को दोहराया था.

रांची: लोयला मैदान में शनिवार की रात हजारों विश्वासी पास्का जागरण धर्म विधि के साक्षी बने. यह धर्मविधि ईस्टर (यीशु के पुनरूत्थान) को लेकर की जाती है. मुख्य अनुष्ठाता रांची महाधर्मप्रांत के आर्चबिशप विसेंट आईंद थे. इस दौरान सबसे पहले आग एवं पास्का मोमबत्ती की आशीष की गयी. उस पास्का मोमबत्ती से मैदान में मौजूद विश्वासियों ने अपनी मोमबत्तियों को जलाया. इसी के साथ मैदान हजारों मोमबत्तियों की टिमटिमाती रोशनी से प्रकाशमान हो उठा.
मौके पर नये एवं पुराने व्यवस्थान से पाठ पढ़े गये. आर्चबिशप विसेंट आईंद ने पास्का जागरण का महत्व बताया. उन्होंने कहा : गुड फ्राइडे की धर्मविधि में हमने प्रभु यीशु के क्रूस बलिदान और उन्हें कब्र में रखे जाने की बात को दोहराया था. कब्र में यीशु के मृत शरीर को रखे जाने से क्रूस खाली हो गया था.

लेकिन इस त्रिदिवसीय समारोह के चरम बिंदु में हम आज पास्का जागरण में शामिल हुए हैं. इस पास्का जागरण और सुबह की धर्मविधि में हम खाली कब्र का जिक्र करेंगे. खाली क्रूस से खाली कब्र की घटना के केंद्र में प्रभु यीशु मसीह हैं. वे ईश्वर के बेटे थे इसलिए वे ईश्वर के साथ बराबरी का दावा कर सकते थे. लेकिन उन्होंने खुद को निरा मनुष्य, बल्कि मनुष्यों में भी सबसे हीन बनाकर खुद को पिलातुस के दरबार में प्रस्तुत किया. उन्होंने खुद को खाली किया और विनम्रता धारण किया. इसका परिणाम यह हुआ कि वे जी उठते हैं और कब्र खाली हो जाती है. इस घटना में हमारे लिए संदेश है कि हमें भी अपने घमंड, अपने स्वार्थ और बुराइयों को छोड़कर खुद को खाली करना है. इस खाली जगह को यानी हमारी अंतरात्मा को, उसी पुनर्जीवित प्रभु की उपस्थित से भरना है. इस नयी उपस्थिति से हम अपनी जिंदगी को नया रूप दे सकते हैं. धर्मविधि के दौरान विश्वासियों पर पवित्र जल का छिड़काव किया. विश्वासियों ने बपतिस्मा की प्रतिज्ञा को भी दोहराया. इस अवसर पर रांची पेरिश के पुरोेहितगण, संत अल्बर्ट कॉलेज के पुरोहित व छात्र, मनरेसा हाउस के पुरोहित, विभिन्न धर्मसमाज से जुड़ी सिस्टर्स आदि मौजूद थी.

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पुनरुत्थान मसीहियों के विश्वास का आधार है

-दीप्ति होरो, विधिक सलहाकार, ऑल इंडिया क्रिश्चियन माइनॉरिटी फ्रंट

आज पूरी दुनिया ईस्टर का पर्व मना रही है. ऐसी घटना जो हजारों साल पहले ईश्वर ने मनुष्यों के बीच एक योजना के रूप में प्रकट की थी, ताकि मानव जाति ईश्वर की शक्ति और प्रेम को समझ सके. मनुष्य जाति को पाप रूपी अंधकार से निकालने के लिए ईश्वर पुत्र ने क्रूस पर अपना बलिदान दे दिया. त्याग और बलिदान का यह दुनिया में सबसे बड़ा उदाहरण है. यीशु के आदर्श और सेवा भाव ने ईसाइयत को दुनिया में प्रमुखता से स्थापित किया. पुनरुत्थान पर्व मसीहियों के विश्वास का आधार है. यदि प्रभु यीशु के जीवन में यह ईश्वरीय योजना पूरी नहीं होती तो हमारे विश्वास का आधार नहीं होता. आज इसी वजह से हम लोग भी प्रभु यीशु के पुनरुत्थान, बलिदान, अनंत जीवन पर विश्वास करते हैं और उसी के अनुसार अपना जीवन जीने की कोशिश करते है.

पास्का ईसाइयों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व

-कुलदीप तिर्की, केंद्रीय अध्यक्ष, झारखंड क्रिश्चियन यूथ एसोसिएशन

पास्का (ईस्टर) पर्व क्रिसमस की तरह धूमधाम और बाहरी तड़क-भड़क के साथ तो नहीं मनाया जाता, फिर भी यह हम ईसाइयों के लिए पर्वों में सबसे बड़ा, मुख्य और महत्वपूर्ण है. प्रभु यीशु मसीह ने हमें दूसरों को क्षमा करने, न्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने और जरूरतमंदों की सेवा करने का संदेश दिया. हम विश्वास करते हैं कि समस्त मानव जाति के पापों का उद्धार करने के लिए बेगुनाह होते हुए भी उन्होंने क्रूस पर प्राण का बलिदान दिया. और जिन्होंने उन्हें भयंकर रूप से प्रताड़ित किया, उन्हें यह कहते हुए माफ कर दिया कि हे पिता इन्हें माफ कर दीजिए, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं. क्रूस पर प्रभु की मृत्यु और तीसरे दिन पुनरुत्थान के साथ हम मनुष्यों पर से पाप का अभिशाप टूट गया. मुक्ति का मार्ग सुरक्षित हो गया. अब इंसान ईश्वर के पास जा सकता है.

पास्का पर्व : नवीनता और ईश्वरीय प्रेम का संदेश

-अनिमा टोप्पो शिक्षिका, प्रभात तारा स्कूल

पास्का पर्व, जिसे ईस्टर भी कहा जाता है, कैथोलिक चर्च के अनुसार मसीही विश्वासियों का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है. जब हम पास्का पर्व मनाते हैं, तो हमें याद करना चाहिए कि कैसे यीशु मसीह ने मानव के कल्याण के लिए दुख, कोड़ों की मार, क्रूस की यातनाएं सही और अपनी मृत्यु से पहले सभी को उनकी गलतियों के लिए दिल से माफ किया. लेकिन अपनी मृत्यु के तीसरे दिन यीशु मुर्दों में से पुनर्जीवित हुए. इसलिए यीशु का पुनरुत्थान हमारे विश्वास का केंद्र बिंदु है और हमारी पूरी आस्था इसी पर आधारित है. अतः मसीही विश्वासी प्रभु यीशु के पुनरुत्थान को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. हम भी अपने जीवन में दुख-तकलीफ, कठिनाई, दुर्घटना, दुविधा, चिंता और चुप्पी जैसी पीड़ाओं से गुजरते है. इस समय में हमें यह याद रखना चाहिए कि जरूर पुण्य शुक्रवार और पुण्य शनिवार के समान ये हमारे लिए पीड़ादायक हैं. ऐसे कठिन समय में भी, हमें विश्वास रखना चाहिए. हर दुःख तकलीफ बाद ही नये जीवन की शुरुआत होती है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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