रांची (प्रमुख संवाददाता). वैश्विक आर्थिक मंदी, सुखाड़ और कोविड की वजह से वित्तीय वर्ष क्रमश: 2015-16, 2019-20 और 2020-21 को छोड़ कर राज्य की औसत विकास दर 14.1 प्रतिशत रही है. औसत विकास दर के हिसाब से 2029-30 तक राज्य की अर्थव्यवस्था 10 लाख करोड़ रुपये की हो जायेगी. राज्य सरकार ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष विकास दर की जानकारी दी. आयोग को बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 5,06,356 करोड़ रुपये होने का अनुमान किया गया है. वित्त आयेाग को बताया गया कि राज्य की राजस्व प्राप्ति राजस्व खर्च के मुकाबले तेजी से बढ़ी है. इस वजह से झारखंड राजस्व सरप्लस बढ़ने की दिशा में है. कोविड महामारी के बाद राज्य का राजस्व सरप्लस होने से पूंजीगत खर्च को बढ़ावा दिया जा रहा है. राजस्व सरप्लस को देखते हुए सरकार ने 2024-25 से मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना शुरू की है. मंईयां सम्मान योजना से राज्य में उपभोग आधारित खर्च बढ़ेगा और महिलाओं का सशक्तीकरण भी होगा. वित्तीय वर्ष 2029-30 तक मंईयां सम्मान योजना राज्य की अर्थव्यवस्था को 10 लाख करोड़ तक पहुंचाने में सहायक होगी. राज्य सरकार ने वित्त आयोग को विकास के विभिन्न मानकों पर अपनी आवश्यकताओं से अवगत कराया. अलग-अलग विभागों के लिए केंद्रीय अनुदान के मद में दावा पेश किया. कहा कि जीएसटी लागू होने से राज्य को लगभग 16,409 करोड़ का नुकसान हुआ है. 2029-30 तक यह नुकसान बढ़ कर 61,677 करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है. राज्य सरकार द्वारा वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में मिली राशि को खर्च करने के लिए निर्धारित शर्तों में भी ढील देने की मांग की. कहा कि कठोर शर्तों की वजह से पूरी राशि नहीं मिल पाती है और राज्य अनुदान की राशि से वंचित रह जाता है.
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