रांची (संवाददाता). उषा मार्टिन की पहल से शिक्षित युवाओं में परंपरागत खेती से अलग आधुनिक खेती के प्रति रूझान बढ़ा है. खेती में अभिनव प्रयोग, तकनीक का उपयोग एवं जोखिम लेने की प्रवृत्ति बढ़ने से खेती अब लाभकारी कार्य हो गया है. जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस (एक्सआइएसएस), रांची द्वारा टाटीसिलवे स्थित उषा मार्टिन के इर्द-गिर्द के 18 गांवों के सर्वे से यह पता चला है. इनके सर्वें का विषय है प्राकृतिक संसाधनों के विकास पर समग्र प्रभाव.
ग्रामीण विकास में पीजी करनेवाले दो छात्रों निहारिका सिंह एवं सैफ अली रहमान ने यह रिपोर्ट बनायी है. ग्रामीण प्रबंधन के छात्रों ने उषा मार्टिन द्वारा ग्रावों में चलाये जा रहे अभियान पर हालिया सर्वे से यह बात सामने आयी है कि 20 से 30 वर्ष के युवा किसान तेजी से आधुनिक खेती के तरीके अपना रहे हैं. यह बदलाव उषा मार्टिन फाउंडेशन की प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन योजना के तहत मिलने वाले प्रशिक्षण और संसाधनों की मदद से संभव हो पाया है.उषा मार्टिन फाउंडेशन ने सभी आयु वर्ग के किसानों को ड्रिप सिंचाई, सोलर पंप, संकर बीज, ग्राफ्टेड पौधा और पॉलीनेट जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया है. इससे अब सालोंभर खेती करना संभव हो सका है. सर्वे से यह साफ हुआ है कि युवाओं को एक ओर भारतीय परंपरागत उपयोगी प्रथाओं को अपनाने में संकोच नहीं है तो दूसरी ओर वैसी तकनीकें ज्यादा आकर्षित कर रही हैं, क्योंकि इनसे पानी और समय की बचत होती है, उत्पादन बढ़ता है और आय बढ़ती है. ड्रिप सिंचाई और अन्य सुविधाओं की उपलब्धता से ये किसान फूल, स्ट्रॉबेरी, तरबूज, कैप्सिकम और कैश क्रॉप्स (बाजार में बिकने वाली फसलें) भी उगा रहे हैं.
गांवों में 20 से 30 वर्ष के युवा किसानों की संख्या बढ़कर अब लगभग 30 फीसदी हो गयी है. इनमें जानुम के गोर्वधन महतो, अनगड़ा के रीतलाल महतो, हेसल के ईश्वर महतो, सिलवई के दिलीप महतो, मासू गांव के प्रेमनाथ महतो प्रमुख हैं. यह बदलाव दिखाता है कि उषा मार्टिन फाउंडेशन की पहल खेती को युवाओं के लिए एक स्मार्ट, टिकाऊ और लाभकारी पेशा बना रही है. एक्सआइएसएस के छात्रों द्वारा किये गये इस सर्वे से यह भी साबित होता है कि सही मार्गदर्शन और आधुनिक तकनीकी ज्ञान मिलने पर युवा पीढ़ी ग्रामीण कृषि में नयी दिशा दे सकती है.गांवों के 330 किसानों के विकास पर सर्वे
उषा मार्टिन फाॅउंडेशन के हेड डाॅ मयंक मुरारी ने बताया कि एक्सआइएसएस के छात्रों ने टाटीसिलवे के इर्द-गिर्द गांवों में सर्वे किया है. इसमें 330 किसानों द्वारा की जा रही खेती के आंकड़ों को लिया गया है. इनमें 30 प्रगतिशील किसानों को गुणवत्तापूर्ण एग्री बिजनेस बढ़ाने को आधार बनाया गया है। यह सर्वे पिछले दो माह से किया जा रहा है. सर्वे रिपोट शीर्घ जारी होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है