EJN Workshop on Renewable Energy Ranchi: नवीकरणीय ऊर्जा पर रांची में आयोजित कम्यूनिकेटर्स वर्कशॉप में बोधि सेंटर फॉर सस्टनेबल ग्रोथ के मणि भूषण झा ने कहा कि अगर कोयला आधारित बिजली से भारत सोलर एनर्जी की ओर शिफ्ट होता है, तो कोयला क्षेत्र में काम करने वाले 3 लाख लोगों की नौकरी जा सकती है. दूसरी तरफ, सोलर एनर्जी की वजह से 13 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि कोयला सेक्टर में काम करने वाले सभी 3 लाख लोग बेरोजगार हो जायेंगे. इनमें से बहुत से लोगों का स्किल डेवलपमेंट करके उन्हें नये काम में लगाया जा सकेगा. हालांकि, कुछ ऐसे लोग होंगे, जो पूरी तरह से बेरोजगार हो जायेंगे. वह अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क (ईजेएन) के 3 दिवसीय ‘कम्यूनिकेटर्स वर्कशॉप ऑन रिन्यूवेबल एनर्जी’ के पहले दिन के दूसरे सत्र को संबोधित कर रहे थे.
जेरेडा के निदेशक ने वर्कशॉप को किया संबोधित
‘कम्यूनिकेटर्स वर्कशॉप ऑन रिन्यूवेबल एनर्जी’ की शुरुआत झारखंड की राजधानी रांची के ली लैक सरोवर होटल में बृहस्पतिवार 24 अप्रैल को हुई. वर्कशपॉ के पहले दिन 4 सेशन हुए, जिसमें देश के अलग-अलग राज्यों से आये पत्रकारों ने झारखंड और बिहार में रिन्यूवेबल एनर्जी की जरूरतों और उत्पादन की क्षमता के बारे में जाना. पहले सत्र में ईजेएन के नवीन मिश्रा और जयदीप गुप्ता ने कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताया. इसके बाद सीईईडब्ल्यू की तुलसी अग्निहोत्री ने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थिति के बारे में पत्रकारों को जानकारी दी. कार्यक्रम के दौरान झारखंड रिन्यूवेबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (झारखंड नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी) के निदेशक केके वर्मा ने विस्तार से बताया कि झारखंड में किस तरह से रिन्यूवेबल एनर्जी का इस्तेमाल हो रहा है. इसके फायदे क्या हैं. झारखंड में इसकी संभावनाएं क्या हैं.
बोधि सेंटर फॉर सस्टनेबल ग्रोथ के मणि ने ऊर्जा सुरक्षा और चुनौतियों के बारे में बताया
बोधि सेंटर फॉर सस्टनेबल ग्रोथ के मणि भूषण झा ने बिहार में ऊर्जा सुरक्षा और चुनौतियां (एनर्जी सिक्यूरिटी एंड चैलेंजेज) पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बिहार में नवीकरणनीय ऊर्जा, खासकर सोलर एनर्जी की स्थिति का पूरा ओवरव्यू दिया. मणि भूषण झा ने कहा कि पिछले 5 साल में बिजली की खपत और मांग दोनों बढ़ी है. उन्होंने कहा कि अगर कोयला आधारित ऊर्जा से सोलर एनर्जी की ओर बढ़ते हैं, तो कोयला क्षेत्र के करीब 3 लाख लोगों का रोजगार जायेगा. वहीं, सोलर एनर्जी में करीब 13 लाख नये रोजगार सृजन की क्षमता है.
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कोयला क्षेत्र के सभी लोग नहीं होंगे बेरोजगार
मणि भूषण झा ने कहा कि ऐसा नहीं है कि कोयला खदान और कोयला आधारित बिजली के क्षेत्र में जितने लोग काम कर रहे हैं, सभी बेरोजगार हो जायेंगे. इनमें से बहुत से लोगों का स्किल डेवलप करके उनको सोलर एनर्जी से जोड़ा जा सकेगा. कुछ ऐसे भी लोग होंगे, जिसे किसी तरह से कहीं समायोजित नहीं किया जा सकेगा. ऐसे लोगों का ही रोजगार गंवाना होगा.
‘सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए इंसेंटिव की जरूरत’
बोधि सेंटर फॉर सस्टनेबल ग्रोथ के मणि भूषण झा ने कहा कि अगर सोलर एनर्जी को बढ़ावा देना है, तो सरकार को इसके लिए कुछ सुविधाएं भी देनी होंगी. सोलर एनर्जी का उत्पादन करने वालों को इंसेंटिव आदि देने होंगे. उन्होंने यह भी बताया कि बिहार सरकार ने 10 गीगावाट सोलर एनर्जी के उत्पादन का लक्ष्य रखा है. इसके लिए इसे जल जीवन हरियाली मिशन से जोड़ा जा रहा है. मणि भूषण ने जस्ट ट्रांजिशन पर भी बात की. उन्होंने कहा कि असम और ओडिशा जैसे राज्यों में सोलर आधारित कोल्ड स्टोरेज हैं, जिसकी पहल झारखंड-बिहार को भी करनी चाहिए.
अश्वनी अशोक ने जस्ट ट्रांजिशन इन झारखंड पर बात की
वर्कशॉप को सीड के अश्वनी अशोक ने भी संबोधित किया. उन्होंने जस्ट ट्रांजिशन इन झारखंड पर बात की. आईआईटी कानपुर के जस्ट ट्रांजिशन रिसर्च सेंटर के पूर्णभा दासगुप्ता और शिवांगी सेठ ने जस्ट ट्रांजिशन इन इंडिया पर चर्चा की. परपस के एसोसिएट कैंपेन डायरेक्टर गुरप्रिया सिंह ने डीसेंट्रलाइज्ड रिन्यूवेबल एनर्जी एंड वीमेंस पार्टिसिपेशन पर अपनी बातें रखीं. ईजेएन की श्वेता डागा और मानसी पिंटो ने इंट्रोडक्शन टू डाटा जर्नलिस्टम के बारे में पत्रकारों को जानकारी दी.
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