मस्जिद जाफरिया से निकाला गया आशूरा का जुलूस
रांची. तेज बारिश भी शिया समुदाय के अकीदतमंदों की आस्था को डिगा नहीं सकी. 10वीं मुहर्रम के अवसर पर रविवार को अंजुमन जाफरिया की ओर से मस्जिद-ए-जाफरिया से पारंपरिक मुहर्रम का जुलूस निकाला गया. जैसे ही जुलूस शुरू हुआ, तेज बारिश होने लगी, लेकिन श्रद्धालु बिना रुके, भीगते हुए पूरे अनुशासन के साथ आगे बढ़ते रहे. यह जुलूस इमाम हुसैन की शहादत और सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है. जुलूस विक्रांत चौक, चूना मंदिर, चर्च रोड, टैक्सी स्टैंड, डेली मार्केट थाना, उर्दू लाइब्रेरी, अंजुमन प्लाजा और डॉ फतहउल्लाह रोड होते हुए कर्बला पहुंचा, जहां इसका समापन हुआ. जुलूस में विभिन्न धर्मों एवं समुदायों के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया, जो शहर में सांप्रदायिक सौहार्द्र और एकता का परिचायक रहा. इस अवसर पर नोहाख्वानी कर इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद किया गया. प्रमुख नोहाख्वानों में कासिम अली, अबुजर अली, गुलाम हुसैन, गुलाम, अमीर गोपालपुरी और असगर इमाम रिजवी शामिल थे, जिन्होंने अपनी सोजभरी प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया.राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों की रही सहभागिता
जुलूस में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के महासचिव अकीलुर्रहमान, प्रवक्ता इस्लाम, इमाम बख्श अखाड़ा के खलीफा मजहूद, धौताल अखाड़ा के खलीफा पप्पू गद्दी, लीलू अली अखाड़ा के खलीफा सज्जाद, महावीर मंडल के अध्यक्ष जय सिंह यादव, भाजपा नेता तारिक, सुहेल सईद, सैयद निहाल अहमद, हाजी माशूक समेत विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे.इमाम हुसैन की कुर्बानी आज भी इंसानियत के लिए मिसाल : मौलाना रिजवी
मस्जिद जाफरिया के इमाम व खतीब हजरत मौलाना हाजी सैयद तहजीबुल हसन रिजवी ने कहा कि मुहर्रम का महीना इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की कर्बला के मैदान में दी गयी कुर्बानी की याद दिलाता है. उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने अन्याय के खिलाफ डटकर खड़े होकर पूरी मानवता को सत्य, न्याय और बलिदान का संदेश दिया. आज भी उनकी शहादत को दुनिया भर में मानवता की एक मिसाल के रूप में याद किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है