Exclusive Interview of Jharkhand Advocate General Rajeev Ranjan: झारखंड में 35000 अधिवक्ता हैं, जो झारखंड स्टेट बार काउंसिल से निबंधित हैं. लगभग 15000 से अधिक अधिवक्ता झारखंड एडवोकेट वेलफेयर ट्र्रस्टी कमेटी के सदस्य हैं. झारखंड राज्य गठन के बाद पहली बार किसी राज्य सरकार ने अधिवक्ताओं के हित में सोचा है. सक्रियता के साथ उस पर काम किया है. इससे युवा व वरिष्ठ अधिवक्ताओं को लाभ होगा. इन्ही मुद्दों को लेकर राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन से प्रभात खबर के वरीय संवाददाता राणा प्रताप ने विस्तार से बात की.
हेमंत सोरेन सरकार ने वर्ष 2024 में जो निर्णय लिया था, उससे अधिवक्ताओं को क्या-क्या लाभ मिलेगा?
ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा, जिसका शत प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान राज्य सरकार करेगी. अधिवक्ताओं को मिल रहे 7000 रुपये पेंशन राशि में सरकार अलग से 7000 रुपये राज्यांश मिलायेगी. इससे प्रतिमाह 14000 रुपये पेंशन अधिवक्ताओं को मिलेगी. युवा अधिवक्ताओं को प्रथम तीन वर्ष तक स्टाइपेंड के रूप में प्रतिमाह 5000 रुपये मिलेंगे. इसमें 50 प्रतिशत अर्थात 2500 रुपये सरकार वहन करेगी, जबकि ट्र्रस्टी कमेटी 2500 रुपये देगी. कमेटी अपने अंशदान में 1500 रुपये बढ़ोतरी करेगी, क्योंकि वर्तमान में 1000 रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड दिया जा रहा है. सरकार से फंड मिलने के बाद स्टाइपेंड में वृद्धि होगी. इससे प्रैक्टिस के प्रारंभिक वर्षों में युवा अधिवक्ताओं को राहत मिलेगी. आर्थिक संकट से निजात मिलेगी.
राज्य के अधिवक्ता सरकार के निर्णय से कैसे लाभ उठा सकेंगे?
योजनाओं का लाभ लेना आसान है, जो अधिवक्ता अब तक झारखंड वेलफेयर ट्रस्टी कमेटी के सदस्य नहीं बन पाये हैं, वे इसका सदस्य बन जायें, तो उसका लाभ मिल सकता है. प्रत्येक दिन अधिवक्ता ट्रस्टी कमेटी के सदस्य बन रहे हैं. विगत तीन माह में 2000 नये सदस्य बन चुके हैं. स्वास्थ्य बीमा का लाभ लेने के लिए अब तक 6000 सदस्य आवेदन कर चुके हैं.
ट्रस्टी कमेटी को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाया गया है?
देखिए, वर्ष 2023 में एडवोकेट वेलफेयर फंड एक्ट-2012 के सेक्शन-24 में संशोधन किया गया. 15 रुपये के वेलफेयर टिकट का दाम बढ़ा कर 30 रुपये किया गया. वेलफेयर टिकट ही आय का स्रोत है.
ट्रस्टी कमेटी का कौन सदस्य बन सकता है और कैसे?
कोई भी अधिवक्ता निर्धारित शुल्क देकर ट्रस्टी कमेटी का सदस्य बन सकता है. सदस्य बनने के लिए 2500 रुपये आजीवन सदस्यता शुल्क है. प्रतिवर्ष 200 रुपये का भुगतान करके भी सदस्य बन सकते हैं.
न्यायालयों में निरंतर मुकदमों की संख्या बढ़ रही है. इसमें कमी आये, इसको लेकर क्या पहल की जा रही है?
बढ़ते मुकदमे चिंता का विषय हैं. इसमें कमी आये, इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गंभीर हैं. उनकी पहल पर पिछले कई वर्षों से कई स्तर पर इस पर काम किया जा रहा है. मामलों में कमी लाने को प्राथमिकता दी जाती है. स्टेट लिटीगेशन पॉलिसी के तहत प्रत्येक विभाग में ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्टम बना हुआ है. कई मामले विभागीय स्तर पर ही निबटा दिये जाते हैं.
न्यायालयों का बोझ कम हो, इसके लिए आपके स्तर से क्या-क्या कदम उठाये गये हैं?
प्रत्येक माह स्टेट इंपावरमेंट कमेटी की बैठक होती है. इसमें समीक्षा की जाती है और मुकदमों के जल्दी निपटारे में सरकार के स्तर से जो काम होना है, उसे प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है, ताकि सुनवाई के दाैरान सरकार की ओर से मजबूती से पक्ष रखा जा सके तथा मामले निष्पादित हो सकें.
कोर्ट के आदेश का अधिकारियों द्वारा ससमय पालन नहीं करने पर अवमानना के मामले चल रहे हैं. कई बार तो कोर्ट का रुख काफी सख्त रहा है. अवमानना के मामले नहीं आये, इसके लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?
देखिये, अवमानना के मामले नहीं आयेंगे, यह नहीं कहा जा सकता है, तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखा जाये, तो विगत पांच वर्षों के दाैरान पूर्व की तुलना में अवमानना में कमी आयी हैं. प्रयास चल रहा है कि इसे शून्य पर लाया जाये, इसके लिए सरकार के स्तर से सभी अधिकारियों को ससमय कोर्ट के आदेश आने के बाद अनुपालन करने का निर्देश दिया गया है. इसे लेकर समीक्षा बैठक भी की जाती है.
आप कह रहे हैं कि मामले कम हो गये हैं. किन-किन विभागों में मामले कम हुए हैं?
प्राय: सभी विभाग इस मामले को लेकर गंभीर हैं और उसका अपेक्षित परिणाम भी आया है. मामले कम हुए हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, गृह, कार्मिक विभाग से संबंधित ज्यादातर मामले आते हैं. इन विभागों से संबंधित मामलों में कमी आयी है. यह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल व प्रयास का नतीजा है.
झारखंड बनने के बाद नियुक्ति विभिन्न कारणों से विवादों के घेरे में रहती है. प्राय: प्रतियोगिता परीक्षा से संबंधित मामले कोर्ट में जाते हैं. समय पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है. ऐसी स्थिति न बने, इसके लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?
सरकार का प्रयास है कि युवाओं को रोजगार मिले. इसके लिए पूरी पारदर्शिता के साथ नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण करने का प्रयास किया गया है. वर्ष 2020 में हेमंत सरकार ने जेपीएससी परीक्षा नियमावली बनायी. इससे पहले परीक्षा की प्रक्रिया पूरी होने में वर्षों लग जाते थे, लेकिन जब से सरकार ने नियमावली लागू की है उसके बाद रिकार्ड समय में नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की गयी है. नियुक्ति पत्र भी दिया गया है. जो भी नियुक्ति आयी हैं, उसे पारदर्शिता के साथ समय पर पूरा करने का प्रयास किया जाता है. यदि कोर्ट में मामला आता है, तो उसमें सरकार मजबूती से अपना पक्ष रखती है.
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