रांची. सभी जीवों का एक साथ होना ही वेदांत है. आज भी यह हमारे सरल जीवन का आधार बिंदु है. हमें हर चीज पर विश्वास करना होगा. विश्वास और आस्था ही धर्म का मूल शास्त्र है. दर्शन का मूल शास्त्र है. यह बात पद्मश्री अशोक भगत ने कही. वह बुधवार को डीएसपीएमयू में व्यावहारिक वेदांत एवं मूल्यों के विज्ञान और मौलिक नेतृत्व विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का उदघाटन कर रहे थे.
डीएसपीएमयू में भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र स्थापित होगा
इस मौके पर विवि के कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि वेदांत की प्रासंगिकता के तहत डीएसपीएमयू में भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र स्थापित किया जायेगा. वेदांत का प्रभाव केवल भारत के आध्यात्मिक और दार्शनिक मूल्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भारत की राजनीतिक और सामरिक संस्कृति पर भी वेदांत का गहरा प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा कि वेदांत केवल एक दार्शनिक विचारधारा नहीं, बल्कि जीवन को सुंदर, सरल और सार्थक बनाने की एक पद्धति भी है. आज की इस जटिल दुनिया में वेदांत का व्यावहारिक रूप अपनाना आवश्यक है, जिससे व्यक्ति न केवल आत्मिक शांति पा सकता है, बल्कि समाज में प्रेम, करुणा और एकता का संदेश फैला सकता है.
मानवता ही सबसे बड़ा गुण
वहीं सीटीपीएल एशिया के सीइओ डॉ आरके राय ने कहा कि मानवता ही सबसे बड़ा गुण होता है. उन्होंने कहा कि दवाइयां मनुष्य के जीवन को दीर्घावधि तक ले जा सकती हैं, लेकिन उस जीवन में गहराई वेदांत से आती है. रांची विवि के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि मनुष्यों को वेद, ग्रंथ और उपनिषद का सार समझना अपने जीवनकाल में अति आवश्यक है. विद्यार्थियों को प्रतिदिन 15- 20 मिनट वेद और उपनिषद जैसे ग्रंथों को पढ़ना चाहिए. सरला बिरला विवि के महानिदेशक डॉ गोपाल पाठक ने व्यावहारिक वेदांत एवं विज्ञान के मूल्यों को महाभारत के प्रसंगों से जोड़ कर भगवान कृष्ण के विभिन्न चरित्रों के संवाद के माध्यम से वेदांत के मूल ज्ञान की चर्चा की.
पत्रिका का भी विमोचन किया गया
विवि के पीआरओ डॉ राजेश कुमार सिंह ने बताया कि कार्यक्रम को डीएसपीएमयू के पूर्व प्रभारी कुलपति डॉ यूसी मेहता, झारखंड राज्य ओपेन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ टीएन साहू और साइंनाथ विवि के प्रो चांसलर डॉ एसपी अग्रवाल ने संबोधित किया. इससे पूर्व स्वागत व विषय प्रवेश दर्शनशास्र विभागाध्यक्ष डॉ आभा झा ने किया. मंच संचालन मनीष मिश्रा व धन्यवाद ज्ञापन डॉ पीयूष बाला ने किया. गणेश पाठक ने गणपति वंदना प्रस्तुत की. इस अवसर पर अतिथियों द्वारा पत्रिका का भी विमोचन किया गया. कार्यक्रम में विवि के कई शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित थे.
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