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झारखंड में मछली पालन को मिल रही नयी दिशा, इस योजना के जरिये बढ़ रही किसानों की आय

Fish Extension Research and Training Scheme: केंद्र सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना चला रही है. इसके तहत मछली किसानों को मछली पालन की आधुनिक तकनीक बताने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. साथ ही उनके लिए कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाता है.

Fish Extension Research and Training Scheme: झारखंड में मछली पालन को बढ़ावा देने के केंद्र सरकारी की एक महत्वाकांक्षी योजना चल रही है. इसके तहत मछली किसानों को आधुनिक मछली पालन तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है. इसका लक्ष्य राज्य में मछली पालन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाना है. इस योजना के अंतर्गत किसानों को मछली पालन को एक लाभदायक व्यवसाय बनाने के लिए वित्तीय मदद भी दी जाती है. मछली पालन के लिए लाभकारी, इस योजना का नाम “मछली विस्तार, अनुसंधान और प्रशिक्षण योजना” है.

क्या है उद्देश्य?

जानकारी के अनुसार, “मछली विस्तार, अनुसंधान और प्रशिक्षण योजना”, भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग की लाभकारी योजना है. इसका मुख्य उद्देश्य मछली पालन के क्षेत्र में उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research) और मछली उत्पादन को बढ़ावा देना है. इस योजना के तहत किसानों को मछली पालन से संबंधित तकनीकी सहायता और आर्थिक मदद दी जाती है.

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क्या है योजना का लाभ?

Fish Farming In Jharkhand
मछली पालन

1. “मछली विस्तार, अनुसंधान और प्रशिक्षण योजना” कई मायनों में किसानों के लिए लाभकारी है. इसके तहत किसानों को मछली पालन से संबंधित प्रशिक्षण दी जाती है और कार्यशालाएं करवायी जाती है. योजना के अंतर्गत मछली बीज उत्पादकों को तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाता है. इसमें प्रत्येक प्रतिभागी को लगभग 225.50 रुपये की सब्सिडी दी जाती है. इसके साथ ही मछली किसानों के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जाती है, जिसमें सभी प्रतिभागियों को करीब 1500.50 रुपये की सब्सिडी मिलती है. इसमें से 600 रुपये तक के खर्च और यात्रा को कवर करना होता है.

2. इसके साथ ही सरकार किसानों को मछली उत्पादन और अनुसंधान में भी मदद करती है. इसके तहत मछली किसानों को 5 टन पंगेसियस मछली के उत्पादन के लिए 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है. साथ ही नयी मछली की प्रजातियों पर अनुसंधान और प्रयोगशालाओं/संग्रहालयों के रखरखाव के लिए भी मदद की जाती है.

3. इसी तरह सरकार मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को अलग-अलग प्रजातियों की मछली, जैसे- रेहू, अमूर कार्प, तिलापिया, कतला आदि के बीज खरीदने के लिए सब्सिडी देती है. इन किसानों को मछली उत्पादन में अच्छा प्रदर्शन करने पर सरकार द्वारा प्रोत्साहित भी किया जाता है. इन किसानों को 30 हजार रुपये तक के उपकरण पुरस्कार के साथ दिये जाते हैं.

4. इस योजना से किसानों को जोड़ने के लिए सरकार जन जागरूकता अभियान चलाती है. इसमें कार्यशालाओं के दौरान बिरसा मछली पालकों को प्रतिदिन 100 रुपये मिलते हैं. इसके तहत फिश केज कल्चर को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. यह मछली पालन की एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें मछलियों को पानी के बड़े स्रोतों, जैसे कि झील या तालाब में पिंजरों में रखा जाता है.

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कौन कर सकता है योजना के लिए आवेदन?

इस योजना के लिए ऐसे लोग आवेदन कर सकते हैं, जो पंजीकृत मछली पालक, मत्स्य विस्तार कार्यकर्ता या मत्स्य पालन क्षेत्र में संबंधित इकाई से हो. साथ ही आवेदक के पास मत्स्य पालन क्षेत्र में अनुभव होना जरूरी है. आवेदन करने वाला व्यक्ति मत्स्य विभाग द्वारा योजना के तहत पहचाने गए इलाके से होना चाहिए. इस दौरान ग्रामीण और अविकसित क्षेत्रों के आवेदकों को प्राथमिकता दी जाएगी. आवेदक के पास बैंक खाता होना भी अनिवार्य है.

कैसे करें आवेदन?

“मछली विस्तार, अनुसंधान और प्रशिक्षण योजना” की आवेदन प्रक्रिया ऑफलाइन होती है. इसके लिए पहले सरकार विज्ञापन प्रकाशित करती है, जिसके बाद इच्छुक लोग आवेदन कर सकते हैं. विज्ञापन प्रकाशित होने के बाद-

चरण 1: सबसे पहले इच्छुक आवेदक को कार्यालय समय में जिला मत्स्य कार्यालय जाना होगा. यहां कर्मचारियों से आवेदन पत्र की हार्ड कॉपी लेकर उसे भरना होगा.
चरण 2: आवेदन पत्र में, सभी अनिवार्य फील्ड को भरने के बाद आवश्यक डॉक्यूमेंट्स लगाकर साइन करें.
चरण 3: फिर, वापस जिला मत्स्य कार्यालय जाकर अच्छे से भरा फॉर्म और डॉक्यूमेंट्स जमा कर दें.
चरण 4: फॉर्म जमा करने के बाद उस कर्मचारी से रसीद ले लें, जिनके पास आवेदन जमा किया गया है. इसके बाद चेक कर लें कि रसीद में फॉर्म जमा करने की तारीख, समय और एक विशिष्ट पहचान संख्या रहे.

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किन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होगी?

आवेदकों को पहचान प्रमाण और बैंक खाता विवरण होना जरूरी है. साथ ही किसानों और मत्स्य विस्तार कार्यकर्ताओं के लिए मछली पालन का पंजीकरण प्रमाण, प्रशिक्षण या अनुसंधान अनुदान चाहने वाले आवेदकों के लिए योग्यता प्रमाण पत्र और बुनियादी ढांचे के विकास या अनुसंधान निधि के लिए परियोजना प्रस्ताव होना आवश्यक है.

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Rupali Das
Rupali Das
नमस्कार! मैं रुपाली दास, एक समर्पित पत्रकार हूं. एक साल से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यरत हूं. यहां झारखंड राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक और जन सरोकार के मुद्दों पर आधारित खबरें लिखती हूं. इससे पहले दूरदर्शन, हिंदुस्तान, द फॉलोअप सहित अन्य प्रतिष्ठित समाचार माध्यमों के साथ भी काम करने का अनुभव है.

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