रांची (प्रमुख संवाददाता). सरना धर्म कोड को लागू किये बिना जनगणना कराने के विरोध में झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से मंगलवार को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना दिया गया. इसके बाद उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंप कर सरना धर्म कोड लागू करने के बाद ही जनगणना कराने की मांग की गयी. इधर राजधानी रांची में झामुमो रांची जिला समिति की ओर से उपायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना दिया गया.
धरना को संबोधित करते हुए झामुमो रांची जिला संयोजक प्रमुख मुस्ताक आलम ने कहा कि सरना धर्म कोड आदिवासियों की चिर परिचित मांग है. जिस प्रकार जनगणना कॉलम में हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन व ईसाई शामिल हैं, उसी प्रकार सरना धर्म कोड को भी शामिल किया जाये. जिस तरह झारखंड अलग राज्य लड़ कर लिया है, उसी तरह सरना धर्म कोड के लिए आंदोलन जारी रखेंगे. विधायक विकास सिंह मुंडा ने कहा कि सरना धर्म कोड पूरे आदिवासी समुदाय की मांग है. झामुमो सरना धर्म कोड को लेकर रहेगा. पार्टी के कार्यकर्ता लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं. धरना में केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय, विधायक अमित महतो, पवन जेडिया, अश्विनी शर्मा, डॉ हेमलाल मेहता, बीरू तिर्की, जयवंत तिग्गा, धर्मेंद्र सिंह, नयनतारा उरांव, झब्बूलाल महतो, सोनू मुंडा और समनूर मंसूरी, जनक नायक, कलाम आजाद, कुदूस अंसारी, आदिल इमाम, रोशन सिंह, तालकेश्वर महतो, रामशरण तिर्की समेत कई कार्यकर्ता शामिल हुए.नयी दिल्ली जाकर आवाज बुलंद करेंगे : विनोद
मौके पर केंद्रीय महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि राज्य की जनभावना के अनुरूप झामुमो लंबे समय से सरना धर्म कोड की मांग कर रहा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 11 नवंबर 2020 को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया. साथ ही सरना धर्म कोड पास कर राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजने का काम किया गया. जिस तरह जातिगत जनगणना के लिए केंद्र सरकार को मजबूर किया, उसी तरह सरना धर्म कोड के लिए भी हम केंद्र सरकार को मजबूर करेंगे. दिल्ली जाकर भी अपनी आवाज बुलंद करेंगे.भाजपा को केवल सरना धर्म से दिक्कत है : सुप्रियो
केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हम सब जानते हैं कि संविधान में लिखा हुआ है कि हम अपने धर्म का प्रचार प्रसार करेंगे और मानेंगे. भाजपा के लोगों को केवल सरना धर्म से दिक्कत है. आदिवासियों के हक, अधिकार, संपत्ति व विचारों पर लगातार हमला हो रहा है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. आदिवासी इस देश का सबसे पहला मालिक है. यदि जल, जंगल, जमीन को बचाना है, तो सरना धर्म कोड को पास करना होगा. झामुमो चाहता है कि किसी भी कीमत पर सरना धर्म कोड लागू हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है