23.6 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Environment Related News : गोला का संग्रामपुर राज्य का पहला गांव, जिसे कार्बन क्रेडिट के चार लाख मिले

झारखंड में पहली बार किसी गांव के लोगों को ‘कार्बन क्रेडिट’ के एवज में चार लाख रुपये मिलेंगे. करीब छह साल पहले रामगढ़ जिले को गोला प्रखंड की संग्रामपुर पंचायत के ग्रामीणों ने वन विभाग के प्रयास से अपनी जीवनशैली में बदलाव शुरू किया था. नतीजतन, गांव में कार्बन का उत्सर्जन कम हुआ.

मनोज सिंह (रांची). झारखंड में पहली बार किसी गांव के लोगों को ‘कार्बन क्रेडिट’ के एवज में चार लाख रुपये मिलेंगे. करीब छह साल पहले रामगढ़ जिले को गोला प्रखंड की संग्रामपुर पंचायत के ग्रामीणों ने वन विभाग के प्रयास से अपनी जीवनशैली में बदलाव शुरू किया था. नतीजतन, गांव में कार्बन का उत्सर्जन कम हुआ. ‘कार्बन क्रेडिट’ की राशि सीधे उन लोगों के खाते में जायेगी, जिन्होंने कार्बन उत्सर्जन कम करने का प्रयास किया है.

ग्रामीणों के जीवन में ऐसे आया बदलाव

गोला प्रखंड की संग्रामपुर पंचायत ‘वन क्षेत्र’ वाली है. यहां के दो गांव बेदिया जरा और बाबलौंग के ग्रामीण पहले खाना बनाने के लिए जंगल से जलावन(लकड़ी) लाते थे. जंगल जाने या वहां के हरे पत्तों को काटने के दौरान जंगली हाथियों से उनका टकराव भी होता था. समस्या को देखते हुए वन विभाग के साथ काम करनेवाली संस्था ‘सिद्धा’ और ‘पीडब्ल्यूसी फाउंडेशन’ ने यहां काम शुरू किया. पहले लोगों को दो-दो जानवर दिये गये. इससे निकलने वाले गोबर के सही इस्तेमाल के लिए लोगों के घर गोबर गैस के प्लांट लगाये गये. करीब 40 हजार रुपये की लागतवाले इस प्लांट के लिए लाभुकों से दो-दो हजार रुपये लिये गये. इससे ग्रामीणों को खाना बनाने के लिए लकड़ी की जरूरत समाप्त हो गयी. वहीं, गोबर गैस से निकलने वाली स्लरी का उपयोग किचन गार्डेन में होने लगा. इससे खेत में रसायनिक खाद की जरूरत समाप्त हो गयी. सब्जी खाने से शारीरिक क्षमता भी बढ़ी.

ग्रामीणों को कड़कनाथ का चूजा दिया गया

यहां के ग्रामीणों को कड़कनाथ का चूजा दिया गया. शर्त थी कि मुर्गी या मुर्गा नहीं, केवल अंडा खा सकते हैं. इससे यहां रहनेवाले लोगों का पोषण की कमी दूर होने लगी. धीरे-धीरे यहां के लोगों ने खुद से भी कई जानवर खरीदे. इससे गांव में जलावन से होनेवाला प्रदूषण समाप्त हो गया. खाना बनाने के लिए ग्रामीणों को इंप्रुव्य कुकड स्टोव भी दिये गये. एलपीजी की खपत भी बहुत कम हो गयी. गांव से कार्बन फुट प्रिंट समाप्त हो गया. इसके बाद यहां ‘कार्बन क्रेडिट’ के लिए आवेदन किया गया. ‘वीरा’ नाम की संस्था से इसका आकलन किया गया. इसके आधार पर यहां के लोगों को चार लाख रुपये का कार्बन क्रेडिट मिला है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel