रांची (वरीय संवाददाता). प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए झामुमो की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर पलटवार किया है. श्री शाहदेव ने कहा कि बाबूलाल मरांडी ने नगड़ी में आदिवासी और मूलवासी रैयतों के लिए आवाज उठायी तो इससे झामुमो को मिर्ची लग रही है. कहा कि यह सरकार अपने को आदिवासी का सरकार होने का दावा करती है, लेकिन जबरन आदिवासियों से उनकी जमीन छीन कर रिम्स-टू बनाना चाहती है. भाजपा प्रवक्ता ने लिखा है कि हेमंत सरकार बाबूलाल फोबिया से इतनी ग्रसित है कि अब वह रिम्स-टू के निर्माण के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गयी है. आदिवासियों के विरोध के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री कह रहे हैं कि रिम्स-टू वहीं बनेगा. श्री शाहदेव ने कहा कि ग्रामीणों ने बाबूलाल मरांडी को जो दस्तावेज दिखाये थे, उससे यह स्पष्ट हो गया था कि इस जमीन का अधिग्रहण कभी नहीं हुआ. ऐसे भी भूमि अधिग्रहण 2013 की धारा 101 कहती है कि अगर पांच वर्षों तक जिस प्रयोजन के लिए जमीन का अधिग्रहण हुआ और उसका उपयोग नहीं हुआ, तो वह मूल रैयत को वापस हो जायेगी. भाजपा आदिवासियों के विरोध के बावजूद लाठी-डंडे की नींव पर बनने वाले किसी भी निर्माण का विरोध करेगी. कहा कि सत्ताधारी गठबंधन में सहयोगी कांग्रेस की केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कार्यकाल में अनुमान के अनुसार छह करोड़ से लोग ज्यादा विस्थापित हुए. झारखंड के बात करें तो मसानजोर डैम, पंचेत डैम, मैथन डैम, तिलैया डैम, तेनुघाट डैम, बोकारो स्टील प्लांट, एचइसी आदि बड़े-बड़े प्रोजेक्ट के कारण कई लाख लोग विस्थापित हुए, लेकिन झामुमो और कांग्रेस इन विस्थापितों को आज तक अपना हक नहीं दिला पायी. सत्ताधारी गठबंधन के कथनी और करनी में आसमान जमीन का फर्क है.
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