रांची. मुंबई टीएमएच के मेडिकल अंकोलॉजिस्ट डॉ कुमार प्रभाष ने कहा कि कैंसर तेजी से बढ़ रहा है, जिसे नकारा नहीं जा सकता. यह भी सच है कि कई लोग कम उम्र में ही कैंसर का शिकार हो जा रहे हैं. हम कैंसर को लेकर लोगों को डराना नहीं चाहते हैं. गहन मंथन से यही निष्कर्ष निकला है कि कैंसर से बचना है, तो हर हाल में हमें अपनी जीवनशैली को बेहतर बनाना होगा. मोटापा कैंसर की बड़ी वजह बन रही है. हमें इससे भी बचना होगा. डॉ प्रभाष शनिवार को कैंसर रिसर्च एंड स्टैटिस्टिक्स फाउंडेशन की ओर से आयोजित कैंसर समिट को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि 60 से 70 फीसदी कैंसर धूम्रपान, तंबाकू का किसी न किसी रूप में प्रयोग करने और शराब के सेवन से होता है, जिसका त्याग कर हम बच सकते हैं. डॉक्टर उसी पर फोकस कर इलाज करते हैं. वहीं, बची 30 फीसदी आबादी, जिनका जीवनशैली संयमित है, उसे कैंसर कैसे हो रहा है, इसकी जानकारी मेडिकल साइंस के पास अभी नहीं है. इस पर शोध जारी है. अब रोकथाम के लिए हमें जागरूक होना भी है. लंग्स कैंसर, कोलोन कैंसर (बड़ी आंत का कैंसर), प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और बच्चेदानी के लिए 40 से 50 साल के बीच सजग होना होगा. अगर समस्या है, तो डॉक्टर से मिलें और डॉक्टर भी कैंसर के एक बिंदु को एक बार अवश्य सोच कर जांच करायें.पौष्टिक भोजन और टीका से सर्वाइकल कैंसर का बचाव
रिलायंस कैंसर हॉस्पिटल, मुंबई की मेडिकल अंकोलॉजिस्ट डॉ सेवंती लिमये ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर (बच्चेदानी के मुंह का कैंसर) गरीब आबादी की महिलाओं में ज्यादा देखा जाता है, यह इसलिए क्योंकि इन महिलाओं को पौष्टिक आहार नहीं मिलता है और वह हाइजीन का खयाल नहीं रखती हैं. अगर ग्रामीण स्तर पर महिलाओं के बीच जागरूकता फैलायी जाये, तो इससे काफी हद तक उनको बचाया जा सकता है.ऐसे कार्यक्रम डॉक्टरों को तकनीक रूप से करते हैं दक्ष
आयोजन समिति के प्रमुख और वरिष्ठ मेडिकल अंकोलॉजिस्ट डॉ सतीश शर्मा ने कहा कि ऐसे आयोजन से डॉक्टरों को नयी तकनीक की जानकारी होती है. नये-नये शोध से इलाज के नये तरीके का पता चलता है, जिसका उपयोग मरीजों पर होता है. देश और विदेश के डॉक्टरों ने कई महत्वपूर्ण जानकारी दी.कैंसर से लड़ाई में चिकित्सा के साथ संवेदना और सामूहिक उत्तरदायित्व भी जरूरी
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार भी कैंसर जैसी बीमारी पर चिंता जतायी. कहा कि कैंसर ऐसी बीमारी है, जो न केवल व्यक्ति के शरीर को, बल्कि पूरे परिवार को मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित करती है. ऐसे में इलाज के साथ संवेदना, भरोसा और अपनत्व बहुत जरूरी है. आयुष्मान भारत योजना एक क्रांतिकारी पहल है, जिससे गरीब और वंचित वर्ग को गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध कराता है. इसकी पूर्ण सफलता तभी संभव है, जब डॉक्टर, अस्पताल, राज्य सरकारें और समाज मिलकर सामूहिक रूप से काम करें. डॉक्टरों को ‘वैद्य नारायणो हरि’ कहा जाता है. जीवनदाता इसलिए कहा जाता है क्योंकि सेवा, करुणा और समर्पण से कैंसर मरीजों में आशा की किरण जगती है. कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की समय पर पहचान और समुचित इलाज डॉक्टरों के समर्पित प्रयास की जरूरत है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है