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झारखंड आंदोलनकारी आलोक लकड़ा का हुआ अंतिम संस्कार, प्रभाकर तिर्की के साथ किये थे जोरदार आंदोलन

झारखंड आंदोलनकारी आलोक लकड़ा का मंगलवार को अंतिम संस्कार हुआ. हार्ट अटैक आने से सोमवार को उनका निधन हो गया था. झारखंड अलग राज्य के लिए प्रभाकर तिर्की के साथ इन्होंने आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभायी थी. आंदोलन के दौरान हजारीबाग केंद्रीय कारा में भी बंद हुए थे.

Jharkhand News: झारखंड आंदोलन के मजबूत स्तंभ आलोक लकड़ा का निधन हो गया. इनके निधन से सभी स्तब्ध हैं. सोमवार की शाम को हार्ट अटैक होने से इनका निधन हुआ है. मंगलवार को रांची के जीईएल चर्च स्थित कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार हुआ. आजसू के संस्थापक अध्यक्ष रहे प्रभाकर तिर्की समेत कई ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए झारखंड आंदोलन के दौरान आलोक के कार्यों को याद किया.

झारखंड आंदोलन में आलोक लकड़ा की सक्रिय भूमिका

आलाेक लकड़ा झारखंड आंदोलन में काफी सक्रिय थे. 25 सितंबर, 1987 का दिन. आजसू के आह्वान पर राज्य मेें 24 घंटे झारखंड बंद की घोषणा हुई थी. उस वक्त बंद की घोषणा के बाद सड़कें वीरान हो जाती थी. सभी अपने- अपने जिले और क्षेत्रों में बंदी सफल बनाने जुटे थे. आलोक भी प्रभाकर तिर्की की अगुवाई में बंद करा रहे थे. इसी दौरान करीब 69 युवा आंदोलनकारियों को पुलिस गिरफ्तार कर रांची के कोतवाली थाना लायी थी. इसी रात सभी को हजारीबाग केंद्रीय कारा भेज दिया गया था. 69 आंदोलनकारियों के साथ आलोक भी हजारीबाग केंद्रीय कारा में बंद थे.

हजारीबाग केंद्रीय कारा में ये आंदोलनकारी थे बंद

25 सितंबर, 1987 को झारखंड बंद के दौरान कई आंदोलनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इनमें प्रभाकर तिर्की के अलावा आलोक लकड़ा, साधु चरण पूर्ति, आनंद गिद्ध, अशोक साहू, शिशिर लकड़ा, सूचित भगत, क्रिस्टोफर बा:, राजेश कुजूर, मुकुल सोरेंग, प्रताप केरकेट्टा, पीटर सोरेंग, हरिशंकर मुंडा और रवि रोशन बारला मुख्य हैं.

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काफी हंसमुख थे आलोक

झारखंड आंदोलनकारी आलोक लकड़ा काफी हंसमुख थे. जीवन बीमा निगम के पदाधिकारी रहे आलोक लकड़ा अलग राज्य के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया. कई यातनाएं सहे और जेल भी गये, लेकिन झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में हमेशा बढ़-चढ़कर भाग लिया.

राज्य के युवा को हमेशा आगे बढ़ते रहने की मिलती रही है प्रेरणा

इधर, आलोक के निधन से राज्य के आंदोलनकारी दु:खी हैं. इन आंदोलनकारियों ने कहा कि आज भले ही हमारे बीच आलोक नहीं हैं, लेकिन उनका संदेश हर युवा को निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है. उन्होंने कहा कि आलोक के निधन से जितना दु:ख हुआ, उससे अधिक खुशी इस बात की है कि आलोक झारखंड राज्य आंदोलन के एक मजबूत स्तंभ में से एक थे.

Samir Ranjan
Samir Ranjan
Senior Journalist with more than 20 years of reporting and desk work experience in print, tv and digital media

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