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23 साल का यह एक्सपर्ट ASI से लेकर DSP तक को सिखा रहा फोरेंसिक साइंस की बारीकियां

उम्र महज 23 साल, पर एएसआई से लेकर डीएसपी तक को क्राइम के इनवेस्टिगेशन में फोरेंसिक साइंस की उपयोगिता की बारीकियां सिखा रहा है झारखंड का सबसे कम उम्र का साइबर एक्सपर्ट. इन दिनों हजारीबाग पुलिस ट्रेनिंग संस्थान में पुलिस पदाधिकारियों को फोरेंसिक साइंस की जानकारियां दे रहा है.

Jharkhand News: उम्र महज 23 साल. पर एएसआई से लेकर डीएसपी तक को क्राइम के इनवेस्टिगेशन में फोरेंसिक साइंस की उपयोगिता की बारीकियां सिखा रहा है झारखंड का सबसे कम उम्र का साइबर एक्सपर्ट. इन दिनों हजारीबाग पुलिस ट्रेनिंग संस्थान में पुलिस पदाधिकारियों को फोरेंसिक साइंस की जानकारियां दे रहा है. यह है प्रणव कुमार राय. अब तक इस एक्सपर्ट ने दर्जनों ट्रेनिंग कंडक्ट कर पुलिस पदाधिकारियों को ट्रेंड कर दिया है.

रक्षाशक्ति विवि के पहले बैच का है छात्र

बिहार के मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर का रहने वाला प्रणव कुमार राय देश की तीसरी रक्षाशक्ति यूनिवर्सिटी झारखंड रक्षाशक्ति विवि के फोरेंसिक साइंस विभाग के पहले बैच के छात्र हैं. इन्होंने झारखंड रक्षाशक्ति विवि से 2019 में फोरेंसिक साइंस में ग्रेजुएशन किया. फिर इसी विवि से साल 2021 में एमएससी की डिग्री ली है. फिलहाल प्रणव रक्षाशक्ति विवि के फोरेंसिक साइंस विभाग के लैब इंचार्ज के रूप में काम कर रहे हैं. साथ ही साथ झारखंड पुलिस के साथ एएसआई, एसआई और डीएसपी स्तर के पदाधिकारियों को प्रशिक्षित करने का काम कर रहे हैं. इन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंगेर में चलने वाले गैरकानूनी हथियारों और उनके बनाने वालों के ऊपर रिसर्च किया है.

गांव के पहला व्यक्ति जिसके पास मास्टर्स की डिग्री

बातचीत के क्रम में प्रणव ने बताया कि वे मुंगेर के हवेली खड़गपुर के पास के परसंडो गांव के रहने वाले हैं. वे बताते हैं कि हमारा गांव नक्सल प्रभावित है. यहां कई तरह की मुश्किलें हैं. वे कहते हैं कि मैं सामान्य किसान परिवार से आता हूं. माता-पिता और हम दो भाईयों का परिवार है. 10वीं-12वीं की पढ़ाई बिहार बोर्ड से की. उसके बाद फोरेंसिक साइंस में करियर बनाने निकल पड़ा. आगे उन्होंने बताया कि मैं अपने गांव से पहला ऐसा व्यक्ति हूं, जिसने इतनी हाइयर डिग्री ली है.

संभावनाओं की तलाश नहीं, अपनी इच्छा को दें तवज्जो

करियर चयन को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि पढ़ाई के दौरान मेरे पैरेंट्स ने भी कहा था कि सरकारी नौकरी की तलाश करो. मगर मुझे करना कुछ और था. मैं जिस इलाके से आता हूं वहां क्राइम को लेकर अलग धारणा है. और अखबारों में भी पढ़ता था कि अक्सर सबूत नहीं मिल पाने की वजह से अपराधी छूट जाते हैं. ऐसे में मुझे लगा कि आखिर तरीका क्या हो सकता है, इस सबूत की तलाश का. इसके बाद ही मैंने इस क्षेत्र का चुना. उन्होंने बताया कि जब कोई युवा करियर सेलेक्शन के स्टेज पर होता है तो मेरे हिसाब से केवल संभावना और आमदनी को देखने की बजाय वह अपनी इच्छा पर फोकस करे. हमेशा यह देखे कि वह किस क्षेत्र में बेहतर कर सकता है. जब इस आधार पर क्षेत्र चुनेगा तो सफलता जरूर मिलेगी.

Rahul Kumar
Rahul Kumar
Senior Journalist having more than 11 years of experience in print and digital journalism.

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