हिंदी की मशहूर साहित्यकार ममता कालिया टाटा स्टील और प्रभात खबर के सौजन्य से रांची के ऑड्रे हाउस में आयोजित झारखंड लिटरेरी मीट का हिस्सा बनने रांची आई हुई हैं. इस मौके पर प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने उनसे विशेष बातचीत की. ममता कालिया बताती हैं कि मेरे जीवन में जब तक मेरे पति रविंद्र कालिया नहीं आए थे, मेरे हीरो मेरे पिता थे. मेरे पापा हिंदी और अंग्रेजी के विद्वान थे और वे रेडियो में काम करते थे. उनकी वजह से मैंने कई बड़े-बड़े कवियों और लेखकों को लाइव सुना था क्योंकि उस वक्त कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग नहीं होती थी. मैंने हरिवंश राय बच्चन, भगवती चरण वर्मा और बेगम अख्तर को लाइव सुना था और मैं उनसे बहुत प्रभावित होती थी. जब लोग उनसे मिलने आते थे तो मुझे बहुत अच्छा लगता था और अगर मैं यह कहूं कि मैं रेडियो सुनते, किताब पढ़ते और लेखकों-कवियों को सुनते लिखने लगी तो गलत नहीं होगा. रविंद्र कालिया की चुनौती पर उन्होंने कहानी लेखन की शुरुआत की थी.
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VIDEO: प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी से विशेष बातचीत में क्या बोलीं साहित्यकार ममता कालिया?
हिंदी की मशहूर साहित्यकार ममता कालिया टाटा स्टील और प्रभात खबर के सौजन्य से रांची के ऑड्रे हाउस में आयोजित झारखंड लिटरेरी मीट का हिस्सा बनने रांची आई हुई हैं. इस मौके पर प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने उनसे विशेष बातचीत की.
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.
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