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खनन लीज मामले में सीएम हेमंत ने फिर मांगा समय, आयोग ने जतायी अपत्ति, जानें कब होगी अगली सुनवाई

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के नाम पर आवंटित खनन लीज के मामले में मंगलवार को चुनाव आयोग के समक्ष भाजपा और सीएम की ओर से पेश वकीलों ने अपना पक्ष रखा. चुनाव आयोग ने आगे की सुनवाई के लिए 14 जुलाई की तिथि निर्धारित की है.

रांची : चुनाव आयोग के समक्ष कल सीएम हेमंत सोरेन के नाम पर आवंटित खनन लीज मामले में सुनवाई हुई. भाजपा और सीएम दोनों पक्ष के वकीलों की टीम ने अपनी बात रखी. दोपहर तीन बजे दोनों पक्ष के वकील दस्तावेजों का बंडल लेकर आयोग के दफ्तर पहुंचे. लगभग दो घंटे तक सुनवाई हुई. लेकिन सुनवाई पूरी नहीं नहीं सकी. सीएम पक्ष के वकीलों ने अपनी दलील पेश करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की. इस पर तुनाव आयोग ने अपत्ति जतायी. अब आगे की सुनवाई 14 जुलाई को होगी.

सुनवाई के बाद भाजपा की ओर से पेश वकील कुमार हर्ष ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 ए के तहत सीएम की सदस्यता रद्द होनी चाहिए. क्योंकि सीएम रहते हेमंत सोरेन ने खनन लीज हासिल करने का आवेदन दिया और अपने हस्ताक्षर से इसे आवंटित करा लिया. यह ऐसा मामला है, जो अदालत के किसी फैसले में नहीं आया है.

सीएम का खनन लीज हासिल करना शुचिता, भ्रष्टाचार और ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला है. ऐसे में उनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि आयोग के सामने हमने दलील पेश की, लेकिन सीएम की ओर से पेश वकीलों ने बहस के लिए समय की मांग की. इस पर आयोग ने आपत्ति दर्ज करायी और कहा कि पहले भी इस मामले में तीन बार समय दिया जा चुका है. ऐसे में सीएम की ओर से दलील पेश नहीं की गयी.

राज्यपाल से की थी शिकायत :

भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से शिकायत की थी. राज्यपाल ने इस मामले को चुनाव आयोग के पास भेज दिया था. चुनाव आयोग ने सीएम को नोटिस जारी कर 10 मई तक जवाब देने को कहा. लेकिन मां की बीमारी का हवाला देते हुए सीएम ने अतिरिक्त समय की मांग की और उन्हें 20 मई तक की मोहलत मिली. दूसरी बार जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गयी और 14 जून को जवाब दाखिल करने को कहा गया. लेकिन फिर अतिरिक्त समय की मांग की गयी. इस पर आयोग ने कहा कि यह आखिरी मौका है और जवाब देने की तारीख 28 जून तय कर दी गयी थी.

बहस के लिए समय की कमी थी : मेंहदीरत्ता

सीएम की ओर से वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा की टीम चुनाव आयोग के समक्ष दलील पेश कर रही है. इस टीम में शामिल चुनाव आयोग के पूर्व विधिक सलाहकार एसके मेहंदीरत्ता ने कहा कि भाजपा की ओर से पेश वकीलों ने लंबी बहस की और सीएम की सदस्यता रद्द करने की मांग की.

ऐसे में हमारे पास बहस के लिए समय की कमी थी. समय की कमी को देखते हुए हमने आयोग से अतिरिक्त समय की मांग की. अब नयी तारीख मिलने पर दलील पेश की जायेगी. उन्होंने कहा कि यह ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला नहीं है और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 ए के तहत सदस्यता रद्द नहीं की जा सकती है. कई अदालती आदेश में भी इसकी पुष्टि की गयी है.

Posted By: Sameer Oraon

Prabhat Khabar News Desk
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