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रिनपास को नहीं मिल रहे योग्य मनोचिकित्सक, अब नियमावली में होगा सुधार, अभी इनके पास है निदेशक का प्रभार

विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली चयन समिति में निमहांस बेंगलुरु के निदेशक, इबहास के निदेशक, एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख व स्वास्थ्य विभाग के सचिव के साथ-साथ कार्मिक विभाग द्वारा मनोनीत अनुसूचित जाति व जनजाति के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. स्वास्थ्य विभाग की उपसचिव सीमा उदयपुरी के हस्ताक्षर से जारी विज्ञापन में कहा गया है कि 2019 में प्रकाशित विज्ञापन के विरुद्ध मात्र दो ही अभ्यर्थी के आवेदन मिले थे.

Vacancy of Rinpas Director रांची : रिनपास को स्थायी निदेशक नहीं मिल रहा है. इसके लिए 16 अक्तूबर 2019 को इंटरव्यू हुआ था. इसमें दो आवेदक शामिल हुए थे. दोनों को राज्य सरकार ने निदेशक पद के लिए अयोग्य माना है. इसमें एक संस्थान के वर्तमान निदेशक (प्रभारी) डॉ एस सोरेन हैं. श्री सोरेन के अतिरिक्त रिनपास की ही डॉ जयति शिमलई इंटरव्यू में शामिल हुई थीं. श्री सोरेन के पास पांच साल से अधिक समय से निदेशक का प्रभार है.

विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली चयन समिति में निमहांस बेंगलुरु के निदेशक, इबहास के निदेशक, एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख व स्वास्थ्य विभाग के सचिव के साथ-साथ कार्मिक विभाग द्वारा मनोनीत अनुसूचित जाति व जनजाति के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. स्वास्थ्य विभाग की उपसचिव सीमा उदयपुरी के हस्ताक्षर से जारी विज्ञापन में कहा गया है कि 2019 में प्रकाशित विज्ञापन के विरुद्ध मात्र दो ही अभ्यर्थी के आवेदन मिले थे.

उन दोनों में से किसी का भी चयन निदेशक पद के लिए नहीं किया गया. वर्तमान में निदेशक का संचालन प्रभारी निदेशक द्वारा किया जा रहा है. राज्य में मनोचिकित्सकों की भारी कमी है, जिसके फलस्वरूप निदेशक पद के लिए विज्ञापन प्रकाशित होने पर काफी कम संख्या में आवेदन प्राप्त होते हैं.

नियमावली में संशोधन के लिए मांगा सुझाव :

स्वास्थ्य विभाग अब रिनपास निदेशक की नियुक्ति नियमावली में संशोधन चाहता है. इसके लिए सार्वजनिक रूप से विचार आमंत्रित किया गया है. 21 जून तक रिनपास निदेशक नियुक्ति एवं सेवा शर्त नियमावली-2019 में आवश्यक संशोधन के लिए प्रस्ताव या मंतव्य मांगा है. विभाग के इ-मेल [email protected] पर मंतव्य दिया जा सकता है.

2016 से निदेशक के प्रभार में हैं डॉ सोरेन

राज्य सरकार ने जिस मनोचिकित्सक को निदेशक के योग्य नहीं पाया है, वही डॉ सुभाष सोरेन संस्थान के निदेशक के प्रभार में छह साल से हैं. उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए. निदेशक के पद पर स्थायी चयन पांच साल के लिए होता है. उससे अधिक समय से वह निदेशक हैं. रिनपास में निदेशक का पद 2007 के जुलाई से रिक्त है. जुलाई में ब्रिगेडियर पीके चक्रवर्ती के रिटायर होने के बाद से यह प्रभार में ही चल रहा है. इस दौरान आधा दर्जन से अधिक चिकित्सकों को निदेशक का प्रभार दिया जा चुका है. इसमें कई अधिकारी रिम्स के भी हैं. निदेशक का प्रभार देने केे मामले की निगरानी जांच तक हुई है.

Prabhat Khabar News Desk
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