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नशे से संबंधित मामले की सुनवाई के लिए झारखंड में नहीं गठित हुई विशेष न्यायलय, सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

नशीले पदार्थों के अवैध निर्माण, सेवन व खरीद-बिक्री के लिए सख्त नियम और दंड निर्धारित करने के लिए देश में लागू कानून को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट कहते हैं.

रांची: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नशे से संबंधित मामलों के लिए झारखंड में विशेष न्यायालय की स्थापना नहीं की गयी है. वर्ष 2022 में ही सुप्रीम कोर्ट ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के तहत झारखंड के 12 जिलों में विशेष न्यायालय की स्थापना का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट आदेश के आलोक में झारखंड हाइकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार को एनडीपीएस एक्ट के तहत रांची, चतरा, खूंटी, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, पलामू, गढ़वा, हजारीबाग, गिरिडीह, लातेहार व धनबाद जिले में विशेष न्यायालय के गठन का प्रस्ताव दिया गया था. परंतु, अब तक एक भी जिले में न्यायालय का गठन नहीं किया गया है.

क्या है एनडीपीएस एक्ट

नशीले पदार्थों के अवैध निर्माण, सेवन व खरीद-बिक्री के लिए सख्त नियम और दंड निर्धारित करने के लिए देश में लागू कानून को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट कहते हैं. इसे एनडीपीएस एक्ट भी कहा जाता है. इस कानून के तहत दो तरह के नशीले पदार्थ आते हैं. नारकोटिक (मादक) और साइकोट्रोपिक (मनोदैहिक). इन दोनों पदार्थों का उपयोग भारत में वर्जित है. परंतु, कुछ नारकोटिक और साइकोट्रोपिक पदार्थों का उत्पादन मेडिकल जरूरतों या अन्य कार्यों के लिए जरूरी भी होता है. बिना डॉक्टरी सलाह के इनके उपयोग से नशे की लत बढ़ सकती है. एक्ट के तहत इस तरह के पदार्थों के उत्पादन पर कड़ी निगरानी रखने का प्रावधान है.

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मादक पदार्थों के व्यापार के लिए मृत्युदंड तक का भी है प्रावधान

एनडीपीएस एक्ट में नारकोटिक और साइकोट्रोपिक पदार्थों व दवाओं से संबंधित अपराधों के लिए गंभीर दंड का प्रावधान है. इसके तहत अपराध की प्रकृति और गंभीरता के आधार पर सजा एक साल से लेकर 20 साल तक की कैद तक हो सकती है. बार-बार अपराध करनेवालों के लिए कठोर दंड का भी प्रावधान है. एक्ट के तहत कुछ मामलों में मृत्युदंड देने तक का प्रावधान है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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