रांची. झारखंड के बच्चे गणित और विज्ञान विषय की पढ़ाई में सबसे कमजोर हैं. इन दोनों विषयों की तुलना में भाषा में बच्चों का प्रदर्शन बेहतर है. झारखंड के बच्चों का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से कमजोर रहा है. वहीं अलग-अलग कोटि के स्कूलों को देखा जाये, तो राज्य के निजी विद्यालय के बच्चों का प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर पर निजी विद्यालय के बच्चों की प्रदर्शन की तुलना में बेहतर रहा है. इसका खुलासा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गयी परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 की रिपोर्ट में हुआ है. पिछले वर्ष सभी स्कूलों में एनसीइआरटी ने किया सर्वे : यह सर्वे पिछले वर्ष देश भर के सभी कोटि के स्कूलों में एनसीइआरटी ने किया था. रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि कक्षा बढ़ने के साथ बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते जाते हैं. इस सर्वे में झारखंड के 2650 स्कूलों के 69,844 बच्चे शामिल हुए थे. सर्वे में सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, निजी विद्यालय और केंद्रीय विद्यालय के बच्चे शामिल हुए थे. सभी स्कूलों के बच्चों के प्रदर्शन की अलग-अलग जानकारी रिपोर्ट में दी गयी है. राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चों का प्रदर्शन सबसे खराब है, जबकि निजी विद्यालय के बच्चों को प्रदर्शन सबसे बेहतर है.
कक्षा तीन के बच्चों की स्थिति
भाषा में हिंदी विषय की परीक्षा हुई थी. इसमें बच्चे वर्णों की पहचान, शब्दों की समझ, सरल वाक्य संरचना और छोटे अनुच्छेद पढ़ने की क्षमता में कफी कमजोर दिखे. गणित में अंक पहचान, जोड़-घटाव और आकृतियों की समझ जैसे मौलिक ज्ञान में कमजोर हैं. राज्य के लगभग 38% छात्र बगैर सहायता के दो अंकों का जोड़ और घटाव नहीं कर पाते है.
कक्षा छह के बच्चों की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार कक्षा में बच्चों को अनुच्छेद विश्लेषण, भाव की पहचान, और अर्थ की व्याख्या में कठिनाई होती है. लगभग 40 फीसदी विद्यार्थियों को ”मुख्य विचार” और ”उद्देश्य” समझने में परेशानी होती है. गणित में भाग, गुणनखंड, अनुपात और साधारण बीजगणित समझने में विद्यार्थियों को परेशानी होती है. विज्ञान में बच्चों में पर्यावरण, विज्ञान व सामाजिक जीवन के बुनियादी जानकारी की कमी है.
कक्षा नौवीं के बच्चों की स्थिति
भाषा में विद्यार्थियों को गद्य, काव्य, और आलोचनात्मक प्रश्नों में कठिनाई होती है. मात्र 48 फीसदी विद्यार्थी ही कविता का भावार्थ स्पष्ट कर पाये. गणित में रेखागणित, सांख्यिकी, बीजगणितीय समीकरणों और त्रिकोणमिति में विद्यार्थी काफी कमजोर हैं. रिपोर्ट के अनुसार, विज्ञान में विद्यार्थियों को रासायनिक परिवर्तन, विद्युत प्रवाह और जैविक प्रक्रियाएं जैसे जटिल विषयों को समझने में कठिनाई हो रही है.
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