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झारखंड के इस गांव के लोग नहीं उबर पाये हैं छुआछूत से, सभी कुएं ऊंची जातियों के लिए, दलित नहीं भर सकते पानी

सिल्ली के नवाडीह गांव का एक मुहल्ला में रहने वाले दलित पूरा दिन पानी के जुगाड़ में गुजर जाता है. कुएं पर खड़े होकर ये लोग दिन भर बाट जोहते हैं कि ऊंची जाति का कोई व्यक्ति कुएं पर आये, जिससे वे एक बाल्टी पानी मांग सकें.

सिल्ली, विष्णु गिरि:

21वीं सदी के इस मौजूदा दौर में भी हमारा समाज छुआछूत और अंधविश्वास से उबर नहीं पा रहा है. सिल्ली प्रखंड की बड़ा चांगड़ू पंचायत के अड़ाल नवाडीह गांव का एक मुहल्ला आज भी जाति प्रथा का दंश झेल रहा है. यहां तीन लोहरा (दलित) परिवार में करीब 19 सदस्य रहते हैं. इन परिवारों को गांव में रहनेवाले तथाकथित ‘ऊंची जाति’ के लोगों के कुएं से पानी भरने की मनाही है. ऐसे में इन लोगों को ऊंची जाति के लोगों से मांग कर पानी पीना पड़ता है.

हालत यह है कि इनका पूरा दिन पानी के जुगाड़ में गुजर जाता है. कुएं पर खड़े होकर ये लोग दिन भर बाट जोहते हैं कि ऊंची जाति का कोई व्यक्ति कुएं पर आये, जिससे वे एक बाल्टी पानी मांग सकें. दिक्कत यहीं खत्म नहीं हो जाती है, यदि ऊंची जाति के लोगों की पानी देने का मन नहीं हुआ, तो वे खरी-खोटी सुना कर इनलोगों को खाली हाथ लौटा देते हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि जिस मुहल्ले में यह परिवार रहता है, उसके आसपास सरकारी स्तर पर पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है. न कोई कुआं है न ही सोलर से चलनेवाला ट्यूबवेल लगाया गया है. थोड़ी दूर पर एक पुराने अनुपयोगी आंगनबाड़ी भवन के परिसर में चापाकल है, लेकिन उससे भी कभी पानी नहीं निकला. हालांकि, इनलोगों को पानी पीने के लिए तालाब के समीप स्थित दाड़ी को छोड़ दिया गया है. लेकिन, वह भी ऊंची जाति के लोगों की जमीन पर है, इसलिए ये लोग उस जगह पानी लेने नहीं जाते हैं.

जिन निजी कुओं से ये परिवार पानी मांगकर लाते हैं, उन कुओं से गांव अन्य लोग भी सहजता से पानी भरते हैं, लेकिन दलित होने के कारण इनलोगों को पानी भरने की इजाजत नहीं है. ऐसा नहीं कि वर्षों से चलती आ रही इस व्यवस्था की जानकारी किसी को नहीं है. लेकिन, न तो प्रशासन के अधिकारी और न ही जन प्रतिनिधि इसका विरोध कर रहे हैं.

साल में कुछ माह एक दाड़ी से पानी नसीब हो जाता है, गर्मी आते ही हमलोग ऊंची जाति के लोगों के कुएं पर निर्भर हो जाते हैं. हम अपनी मर्जी से उनके कुएं से पानी नहीं ले सकते, घंटों खड़े होकर कुएं के पास किसी के आने का इंतजार करते रहते हैं.

– कमला देवी

इन परिवारों की पीड़ा सुनिये

गांव में ऊंची जाति के लोगों के चार अलग-अलग कुएं हैं. घंटों खड़े रहने के बाद जब कोई कुएं पर आता है, तब जाकर हमें पानी नसीब होता है. हर रोज बुरा-भला सुनने के बाद भी हमें उनके कुएं पर पानी मांगने के लिए जाना ही पड़ता है. – सीमा देवी

हमारी परेशानियों से न तो सरकारी अफसरों को कोई लेना-देना है और न ही मुखिया को. हमलोगों ने कई बार नेताओं व मुखिया से अपनी समस्या बतायी, लेकिन किसी ने स्थायी समाधान नहीं निकाला है. अब तो ऊंची जाति के लोगों से मांग कर पानी पीने की आदत सी हो गयी है. – पुइतू देवी

क्या बोले जिम्मेवार लोग

यह काफी गंभीर विषय है. मैं खुद जाकर हर बिंदु पर मामले की जांच करूंगा. संबंधित पंचायत सेवक को कार्यालय बुलाकर तत्काल गांव में जाकर पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए जरूरी प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दे रहा हूं.

– पावन आशीष लकड़ा, बीडीओ

आप जिस इलाके के संबंध में सवाल कर रहे हैं, वहां मौजूद सरकारी व्यवस्था की पूरी जानकारी मुझे नहीं है. हालांकि, जल्द ही ‘नल-जल योजना’ के तहत सभी प्रभावित परिवारों के घरों तक पीने का पानी सुगमता से मिलने लगेगा.

– सरिता मुंडा, मुखिया बड़ा चांगडू पंचायत

Prabhat Khabar News Desk
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यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

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