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कल्पना सोरेन नहीं आना चाहती थी राजनीति में, लेकिन आज इसमें जमा ली अपनी धाक

कल्पना सोरेन कभी राजनीति में नहीं आना चाहती थी. इसके जिक्र उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट और प्रभात खबर के इंटरव्यू में किया था.

रांची : कल्पना सोरेन एक ऐसी शख्सियत जो आज की तारीख में किसी परिचय की मोहताज नहीं है. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद वह लोकसभा चुनाव में झामुमो का चेहरा बनीं और पार्टी का शानदार नेतृत्व किया. उनके नेतृत्व में ही पार्टी ने रांची में शानदार रैली का आयोजन किया. चुनाव के दौरान वो राज्य के कई इलाकों में घूम-घूम कर इंडिया गठबंधन का प्रचार किया. परिणाम ये हुआ कि साल 2019 और 2014 की तुलना में इंडिया गठबंधन ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया. लेकिन क्या आपको पता है कि कल्पना सोरेन कभी राजनीति में नहीं आना चाहती थी. इसका जिक्र उन्होंने हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये किया था. उन्होंने लिखा था कि न मुझे राजनीति में आने का शौक था न ही कभी सोचा था कि मुझे यह करना है. लेकिन तानाशाहों ने 31 जनवरी की रात को हमारी जिंदगी बदल दी. आपके साथ ही मेरी आत्मा को चहारदिवारी में कैद कर लिया.

प्रभात खबर से बातचीत में किया था इस बात का जिक्र

प्रभात खबर से खास बातचीत में भी उन्होंने इस चीज का जिक्र किया था उन्होंने कहा था कि घर की दहलीज के अंदर पहले से ही राजनीतिक वातावरण रहा. हमने बहुत करीब से गुरुजी की, बाबा की राजनीतिक सक्रियता देखी. उनके काम करने की तरीका देखा. फिर अचानक से परिस्थिति आती है और हेमंत जी हमारे साथ नहीं होते हैं. चुनाव से ठीक पहले. मुझे राजनीति में आना इसलिए पड़ा कि जितने भी हमारे कार्यकर्ता हैं, उनको मार्गदर्शन और रास्ता दिखाने के लिए कोई तो होना चाहिए था.

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कल्पना के पिता ने कहा था- उनकी बेटी राजनीति की संभाल सकती है डोर

बता दें कि कल्पना सोरेन के पिता ने भी इस बात का जिक्र था कि उनकी बेटी अपने पति से राजनीति की डोर को संभालने के लिए पूरी तरह से सक्षम है. उनके पिता ने ये बात अगस्त 2022 में कही थी. आज कल्पना ने इस बात को सच कर दिखाया. उन्होंने किसी मंझे हुए राजनेता की तरह अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की. इंडिया गठबंधन की तमाम रैलियों में शामिल हुई. उन्होंने करीब 150 से अधिक रैलियों को संबोधित किया.

कल्पना सोरेन ने जीता गांडेय का उपचुनाव

कल्पना सोरेन को जब पार्टी ने गांडेय उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया तो पूरे दमखम के साथ चुनाव प्रचार किया. इसका उन्हें जबरदस्त फायदा भी मिला. उन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंदी दिलीप वर्मा को 27 हजार वोटों के बड़े अंतर से हराया. साथ ही उनकी पार्टी ने 3 लोकसभी सीटों पर कब्जा जमाया. बता दें कि इससे पहले वह सक्रिय राजनीति से हमेशा दूर रही. रांची में वह एक प्ले स्कूल चलाती रहीं और अपने परिवार के जिम्मेदारियों को संभाला.

Sameer Oraon
Sameer Oraon
A digital media journalist having 3 year experience in desk

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