झारखंड स्टेट बार काउंसिल के निर्णय के आलोक में राज्यभर के लगभग 33,000 अधिवक्ता छह जनवरी से न्यायिक कार्यों में हिस्सा नहीं लेंगे. अधिवक्ता अपने को अदालती कार्यों से अलग रखेंगे. अधिवक्ता झारखंड कोर्ट फीस संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. वकीलों का कहना है कि कोर्ट फीस में भारी वृद्धि की गयी है. इससे न्याय पाने के इच्छुक लोगों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डाला जा रहा है. राज्य सरकार कोर्ट फीस संशोधन विधेयक को शीघ्र वापस ले. गुरुवार को बार काउंसिल मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण, सदस्य संजय विद्रोही व एके रशीदी ने कहा कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत चार जनवरी को सीएम से मिलने के लिए बार काउंसिल का प्रतिनिधिमंडल गया था, लेकिन सीएमओ की ओर से बताया गया कि सात जनवरी को दिन के 11.30 बजे राज्य के अधिवक्ताओं के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बैठक निर्धारित है. बताया गया कि इस बैठक की जानकारी स्टेट बार काउंसिल के किसी सदस्य को नहीं थी, न ही जिला बार एसोसिएशन को ऐसी कोई जानकारी मिली. वैसी स्थिति में सात जनवरी की सीएम द्वारा बुलायी गयी अधिवक्ताओं की बैठक में काउंसिल का कोई भी सदस्य शामिल नहीं होगा. उन्होंने अन्य सभी अधिवक्ताओं से उक्त बैठक में हिस्सा नहीं लेने की अपील की. उल्लेखनीय है कि काउंसिल की चार जनवरी को हुई आपात बैठक में छह व सात जनवरी को न्यायिक कार्य से अलग रहने का निर्णय गया था. आठ जनवरी को दिन के 11:30 बजे बार काउंसिल की ओर से बैठक बुलाने का भी निर्णय लिया गया. जिसमें सभी जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को शामिल होने को कहा गया है, जिसमें आंदोलन के आगे की रणनीति तैयार की जायेगी.
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जनवरी से न्यायिक कार्यों में हिस्सा नहीं लेंगे. अधिवक्ता अपने को अदालती कार्यों से अलग रखेंगे
By Raj Lakshmi
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Raj Lakshmi
Reporter with 1.5 years experience in digital media.
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