रांची (विशेष संवाददाता). केंद्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन किसी स्थान की दीर्घकालीन दशाओं को कहते हैं. किसी भी स्थान में धीरे-धीरे जल और वायु में बदलाव आने को जलवायु परिवर्तन कहते हैं. श्री आनंद शुक्रवार को रांची वीमेंस कॉलेज में भूगोल विभाग व आइक्वेएससी के संयुक्त तत्वावधान में विश्व मौसम दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित व्याख्यान में बोल रहे थे. आटर्स ब्लॉक के मैत्रयी सभागार में आयोजित इस व्याख्यान का विषय जलवायु परिवर्तन और ऊष्मा तरंगें था.
श्री आनंद ने कहा कि वैसे तो सभी जगह थोड़े-थोड़े बदलाव होते रहते हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन में मुख्य रूप से उन बदलावों पर ध्यान दिया जाता है, जिससे प्रकृति को हानि होती है. कहा कि असामान्य रूप से गर्म दिन और हीट वेव की घटनाएं मौसम में दिन-प्रतिदिन होने वाले बदलाव का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं. हालांकि, जैसे-जैसे पृथ्वी की जलवायु गर्म होती है, वैसे-वैसे सामान्य से ज्यादा गर्म दिन और रातें आम होती जा रही हैं. हीट वेव के लंबे समय तक चलने और अधिक बार और तीव्र होने की उम्मीद है. परिवर्तन वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों के जुड़ने के कारण जलवायु प्रणाली में अतिरिक्त गर्मी के कारण होते हैं. ये अतिरिक्त ग्रीनहाउस गैसें मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों जैसे जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस) के जलने, वनों की कटाई, कृषि और भूमि-उपयोग में बदलाव के कारण आती हैं..जलवायु परिवर्तन से तापमान में वृद्धि, अधिक बार भारी बारिश तथा तूफानों के प्रभाव के माध्यम से मौसमी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है. स्वास्थ्य प्रभावों में दस्त जैसी बीमारियां, शरीर के तंत्रिका और श्वसन तंत्र पर प्रभाव या यकृत और गुर्दे की क्षति शामिल हो सकती हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर इंचार्ज डॉ विनिता सिंह ने की. इस अवसर पर कॉलेज की सभी शिक्षिकाएं व छात्राएं उपस्थित थीं.
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