रांची (मुख्य संवाददाता). डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि (डीएसपीएमयू) के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में शुक्रवार को व्याख्यान का आयोजन किया गया. संगोष्ठी का विषय राजभाषा नियम-अधिनियम : संविधान में हिंदी और नयी शिक्षा नीति था. यह संगोष्ठी डॉ वचनदेव कुमार स्मृति व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित थी. व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे डीएसपीएमयू के कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि भारत के विश्वगुरु होने का प्रमुख कारण था मूल्यपरक शिक्षा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषाओं पर शिक्षा की व्यवस्था ने हमारी भाषाई अस्मिता को मजबूत किया है.
राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के साथ हिन्दी से प्रेम करना होगा : वीरेंद्र यादव
बतौर मुख्य वक्ता मौजूद रहे अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि हम अपनी भाषा में काम नहीं करते हैं, इसलिए हिंदी सलाहकार समिति, हिंदी कार्यशाला और हिंदी पखवाड़ा मनाना पड़ता है. हिंदी को सिर्फ साहित्य की भाषा तक सीमित नहीं करना है, बल्कि विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में भी विस्तारित करना है. कम से कम हमें अपना हस्ताक्षर हिंदी में करना चाहिए. राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के साथ हिंदी से प्रेम करना होगा.हिंदी महज एक भाषा नहीं बल्कि इस देश की पहचान एवं गौरव भी है : डॉ जिंदर
इससे पहले हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ जिंदर सिंह मुंडा ने कहा कि हिंदी महज एक भाषा नहीं, बल्कि इस देश की पहचान एवं गौरव भी है. उन्होंने कहा कि मातृभाषा से लेकर अंतर्राष्ट्रीय भाषा तक की यात्रा में हिंदी की स्थिति पूरे विश्व में शानदार रही है. लोकल से ग्लोबल होने के कई मानकों में हिंदी अपनी अनिवार्यता सिद्ध की है. इस अवसर पर विभागीय शिक्षक डॉ मृत्यंजय कोईरी, डॉ जितेंद्र सिंह, विवि के डॉ विनोद कुमार, डॉ जेपी शर्मा, डॉ राजेश कुमार सिंह समेत हिंदी विभाग, इतिहास विभाग एवं जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के कई विद्यार्थी शामिल हुए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है