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Ranchi news : झारखंड में अब मनरेगा से होगी लीची की खेती

लीची अनुसंधान संस्थान मुजफ्फरपुर से ली जायेगी तकनीकी सलाह.

मनोज सिंह, रांची.

मनरेगा के तहत अब ग्रामीण क्षेत्रों में लीची के पौधे भी लगाये जायेंगे. ग्रामीण विकास विकास के इस निर्णय को मनरेगा के माध्यम से जमीन पर उतारा जायेगा. बिरसा हरित ग्राम योजना (बीएचजीवाइ) के तहत यह काम होगा. जिन स्थानों पर पूर्व के वर्षों में सिंचाई की सुविधा रही है, वहां इसे प्राथमिकता दी जायेगी. विभाग का मानना है कि लीची उत्पादन में काफी समय लगता है. इस कारण किसान बड़े क्षेत्र में इसे नहीं लगाते हैं. इस कारण शुरू में मिश्रित खेती करायी जायेगी. ताकि, शुरू से ही किसानों को आय मिलने लगे. विभाग का मानना है कि कुछ वर्षों के बाद लीची आय का अच्छा स्रोत हो जायेगी. पांच साल के बाद किसान प्रति हेक्टेयर दो लाख रुपये तक कमा सकेंगे. 10 साल बाद तीन लाख रुपये तक कमाई हो सकती है. बाद में मल्टी लेयर खेती से किसान एक हेक्टेयर में 15 साल बाद चार लाख रुपये कमा सकते हैं.

टांड़ जमीन को दी जायेगी प्राथमिकता

विभाग ने तय किया है कि इसमें टांड़ जमीन को प्राथमिकता दी जायेगी. वैसी जमीन को चिह्नित किया जायेगा, जहां किसान साल में एक बार कम से कम उड़द, मड़ुआ व कुल्थी की खेती करते हों. 100 मीटर की दूरी पर सिंचाई का साधन हो.

अमरूद और इमारती पौधे के साथ लगेगी लीची

मनरेगा के तहत लीची के साथ-साथ अमरूद और इमारती पौधे भी लगाये जायेंगे. इसमें एक एकड़ में 260 पौधा लगाने की योजना है. इस पर करीब 6.01 लाख रुपये की लागत आयेगी. एक एकड़ भूमि पर छह जलकुंड भी बनाये जायेंगे. रैयती जमीन पर एक परिवार अधिक से अधिक एक एकड़ और कम से कम 50 डिसमिल जमीन पर फलदार पौधे लगा सकता है. जिन पंचायतों में पहली बार लीची की बागवानी शुरू की जायेगी, वहां एक गांव में न्यूनतम पांच एकड़ में योजना का क्रियान्वयन किया जायेगा.

झारखंड की जलवायु लीची के अनुकूल

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की संस्था नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन लीची, मुजफ्फरपुर की सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि झारखंड की जलवायु लीची के अनुकूल है. कई प्रखंडों को लीची की खेती के अनुकूल बताया गया है. इसी आधार पर मनरेगा में लीची प्लांटेशन को जोड़ा गया है. लीची मिश्रित बागवानी योजना पांच वर्षों के लिए क्रियान्वित की जायेगी.

मनरेगा से ही आम का हब बना कई जिला

झारखंड में मनरेगा से आम का प्लांटेशन पहले कराया जाता था. इस कारण खूंटी, गुमला, सिमडेगा सहित कई जिलों में मनरेगा के तहत आम्रपाली आम की वेराइटी लगायी गयी थी. इन जिलों में लाखों किसानों को इससे लाभ हो रहा है. हर साल लाखों रुपये का आम किसान बेचते हैं.

वर्जन

पहली बार लीची की खेती को मनरेगा के तहत बढ़ावा देने का प्रयास हो रहा है. इसके लिए अलग से योजना तैयार की गयी है. झारखंड की जलवायु लीची के अनुकूल है. इसका अध्ययन करा लिया गया है. इससे झारखंड के किसान अच्छी कमाई कर सकेंगे.

मृत्युंजय वर्णवाल, मनरेगा आयुक्तB

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