रांची. केंद्र सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन कर बनाये गये वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 वापस लेने की मांग लेकर रविवार को ऑल मुस्लिम यूथ एसोसिएशन ने राजभवन के समक्ष महाधरना दिया. वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है. महाधरना के दौरान केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गयी.
नेतृत्व कर रहे आमया संगठन के अध्यक्ष एस अली ने कहा कि वक्फ कानून में संशोधन को लेकर मुस्लिम समुदाय से कोई वार्ता नहीं की गयी. इतना ही नहीं जेपीएस द्वारा दिये गये सुझाव को शामिल किये बिना बहुमत का दुरुपयोग कर केंद्र सरकार द्वारा वक्फ एक्ट 2025 बनाया गया है. जो भारतीय मुसलमानों की धार्मिक स्वायत्तता और मौलिक अधिकार को समाप्त करने की साजिश है. देश एवं झारखंड में वक्फ की जो संपत्ति है, उनमें से अधिकतर मस्जिद, मदरसा, ईदगाह, कब्रिस्तान, मजार, खानकाह, मकबरा, मुसाफिरखाना है. इसके अलावा दुकान-मकान, संस्थान व खेत खलिहान है, जो पूर्वजों द्वारा अपनी निजी जमीन/संपत्ति इस्लामिक परंपरा के अनुसार वक्फ (दान) कर स्थापित की गयी है. उन्होंने कहा कि बहुत-सी जमीनों को राजा, महाराजा, नवाब, जमींदार, ओहदार द्वारा भी दिया गया. इनमें मौखिक और सादे कागज में भी वक्फ (दान) किया गया है. जिसका उपयोग धार्मिक कार्य के तौर पर होता है. केंद्र सरकार को लगता था कि वक्फ संपत्तियों में कब्जा, अतिक्रमण व मनमानी है और आमदनी नही है, जिससे गरीब और जरूरतमंद को लाभ नही मिल रहा है, तो वक्फ एक्ट 1995 में बिना संशोधन के भी सुधार कर सकती थी. संशोधित वक्फ अधिनियम 2025 अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों अनुच्छेद 14, 25, 26 और 29 का उल्लंघन करता है. वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को सदस्य बनाने से मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन में हस्तक्षेप होगा. जबकि हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड और सिख धार्मिक बोर्ड व अन्य धर्म के बोर्ड में उनके धर्म के मानने वाले सदस्य होंगे.इन्होंने भी रखे विचार
धरना में डॉ असगर मिस्बाही, नाजिम ए आला कुतुबुद्दीन रिजवी, शहर काजी मौलाना सुहैब, मौलाना तल्हा नदवी, वरीय अधिवक्ता मुख्तार खान, दीपू सिन्हा, प्रवीण पीटर, शकील परवेज, रजा उल्लाह अंसारी, अजहर खान, पप्पू गद्दी, नुरूल नदवी, अताउल्लाह अंसारी, मुन्तजिर अहमद, अशफाक खान, इरशाद इमाम, जहीर मंसूरी, हफीज जान मोहम्मद, मौलाना सफीउल्लाह, सब्दुल मल्लिक गुफरान अंसारी ने भी विचार रखे.इन संगठनों ने लिया भाग
महाधरना में रांची जिला के सभी प्रखंडों के अंजुमन, एदार-ए-शरिया, इमारत-ए-शरिया, जमीयत-ए-उलेमा हिंद, सेंट्रल अंजुमन कांके, प्रखंड अंजुमन रातू, अंजुमन इस्लामिया मांडर, ऑल झारखंड एकता मंच, साहेर अंजुमन नगड़ी, मोमिन चौरासी पंचायत रांची के अलावा कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि एवं हजारों लोग तख्ती लेकर शामिल हुए.तैनात थी पुलिस
महाधरना में काफी संख्या में लोग जुटे थे. उनका कहना था कि केंद्र सरकार ने मुस्लिम समुदाय पर इस कानून को थोपने का काम किया है, जो बर्दाश्त के काबिल नहीं है. यदि केंद्र सरकार की मंशा साफ होती, तो संशोधन के पहले संगठनों से राय-मशविरा करती न कि कानून को थोपती. इस संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा और इसे निर्णायक मुकाम तक पहुंचाया जायेगा. धरना के मद्देनजर पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के मुकम्मल इंतजाम किये गये थे. आंदोलनकारियों ने भी शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन किया. सभी ने काला बिल्ला लगा रखा था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है