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Monthly Per Capita Expenditure Jharkhand: झारखंड के शहरी क्षेत्र के लोग दूध और दूध से बने उत्पाद खाने में ग्रामीण क्षेत्र के लोग आगे हैं. फल खाने के मामले में भी शहरी नागरिकों ने ग्रामीणों को पीछे छोड़ दिया है. पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड आदि के सेवन में भी शहरी क्षेत्र के लोग ग्रामीणों से आगे हैं. वहीं, मांस, मछली और अंडा खाने के मामले में ग्रामीणों ने शहरी लोगों को पछाड़ दिया है. दूध, फल और मांसाहार के सेवन में शहरी और ग्रामीण आबादी में बड़ा अंतर देखा गया है. हलांकि, अनाज, सब्जी, पेय पदार्थों, प्रोसेस्ड फूड आदि की खपत में अंतर बहुत कम है.
गांव के 14.8 फीसदी लोग अनाज का इस्तेमाल करते हैं, शहर में 14.2 फीसदी
झारखंड सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण के मैक्रो इकॉनोमिक ओवरव्यू में यह जानकारी दी गयी है. इसमें बताया गया है कि वर्ष 2022-23 के आंकड़ों के आधार पर, ग्रामीण क्षेत्र में 14.8 फीसदी लोग अनाज का इस्तेमाल करते हैं, तो शहरी क्षेत्र में 14.2 फीसदी. ग्रामीण क्षेत्र में महज 11 प्रतिशत लोग दूध और दूध से बने उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं. शहरी क्षेत्र में ऐसे लोगों की संख्या 16.1 प्रतिशत है. दूध की तरह फल खाने में भी शहरी क्षेत्र के लोग आगे हैं. गांवों में 6.1 फीसदी लोग फल का सेवन करते हैं, तो शहरी क्षेत्र में 8.7 फीसदी.
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गांवों में 13.9 फीसदी खर्च मांसाहार पर, शहरों में 9.7 प्रतिशत
गांवों में 13.9 प्रतिशत लोग अंडा, मछली और मीट खाते हैं, जबकि शहरों में यह आबादी 9.7 फीसदी ही है. पेय पदार्थों और पैकेज्ड फूड के उपभोग के मामले में शहर और गांव का अंतर बहुत बड़ा नहीं है. दोनों का अंतर महज 0.9 प्रतिशत है. शहरी क्षेत्र में 21.2 प्रतिशत लोग पैक्ड फूड और अन्य पेय पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में इनका सेवन करने वाले 20.3 प्रतिशत हैं, जो बहुत कम नहीं है. सब्जी खाने के मामले में भी गांव के लोग आगे हैं. शहरों में 11.3 फीसदी लोग सब्जी खाते हैं, तो गांवों 12.5 फीसदी लोग सब्जी का सेवन करते हैं. इसी तरह अन्य खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करने वाले गांवों में 21.3 प्रतिशत हैं, तो शहरों में 18.9 प्रतिशत.
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अनाज की खपत भी शहरों से ज्यादा गांवों में
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के एमपीसीई (Monthly Per Capita Expenditure) के आंकड़े बताते हैं कि शहरों में प्रति व्यक्ति 9.59 किलोग्राम अनाज की खपत है, तो गांवों में 9.93 किलोग्राम प्रति माह. शहरों में 56.97 प्रतिशत लोग चावल, 42.97 फीसदी लोग गेहूं, 0.03 प्रतिशत लोग मोटा अनाज और 0.03 प्रतिशत अन्य अनाज का इस्तेमाल करते हैं. वहीं, गांवों में 68.36 प्रतिशत लोग चावल, 31.34 प्रतिशत लोग गेहूं, 0.25 प्रतिशत लोग मोटा अनाज और 0.04 प्रतिशत लोग अन्य अनाज का इस्तेमाल करते हैं.
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