रांची. शहर की सुंदरता बरकरार रहे, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा करोड़ों की राशि खर्च कर इसे सुंदर बनाया जा रहा है. डिवाइडरों पर फूल-पौधे से लेकर इसका रंग-रोगन किया जा रहा है. जगह-जगह चौक-चौराहों को सुंदर बनाया जा रहा है. वहीं नगर निगम पर शहर को बदरंग बनाने का आरोप लग रहा है. ताजा मामला शहर में बेतरतीब ढंग से लगाये गये 150 से अधिक होर्डिंग का है. सड़कों के किनारे व चौक-चौराहों पर बेतरतीब ढंग से लगे इन होर्डिंग के कारण वाहन चालकों का ध्यान भटक रहा है. जहां-तहां गड्ढा खोदकर स्ट्रक्चर खड़े कर दिये जाने के कारण सड़कें भी संकरी हो गयी हैं. हालत यह है कि शहर के कई सड़कों में एक होर्डिंग से दूसरे होर्डिंग की दूरी 20 फीट भी नहीं रखी गयी है.
होर्डिंग के लिए को-ऑर्डिनेशन कमेटी से नहीं ली गयी मंजूरी
शहर में लगने वाले इन होर्डिंगों से शहर की यातायात व्यवस्था किसी प्रकार से प्रभावित न हो, इसके लिए को-ऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी में पथ निर्माण, ट्रैफिक, डीटीओ, फायर, नगर निगम व एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन के पदाधिकारी होते थे. इस कमेटी का गठन इसलिए किया गया था कि शहर में किसी जगह पर होर्डिंग लगाने से पहले कमेटी स्थल जांच कर इसका अनुमोदन करती थी. वर्ष 2016 से यही नियम चल रहा था, लेकिन इस बार अफसरों को होर्डिंग लगाने की इतनी हड़बड़ी थी कि सारे नियम-कानूनों को ताक पर रखकर विज्ञापन एजेंसियों को बुला-बुलाकर होर्डिंग लगाने का परमिशन दे दिया गया. हालत यह थी कि जो एजेंसी होर्डिंग लगाने में रुचि नहीं ले रही थी, उनके मालिक को भी बुलाकर यह कहा गया कि अभी साहब का मन है. अगर आपको भी कहीं पर होर्डिंग लगाना है, तो साहब से मिल लीजिये. बाद में फिर परमिशन मिलेगा कि नहीं, इसे कोई नहीं जानता. इस संबंध में अपर प्रशासक संजय कुमार ने बताया कि कितने होर्डिंग को परमिशन दिया गया है, यह याद नहीं है. ऑफिस आवर में आकर पूछिये, तो ही विस्तार से जानकारी दे सकते हैं. होर्डिंग लगाने के लिए किसी को-ऑर्डिनेशन कमेटी के अनुमति की जरूरत नहीं है. नगर निगम ने इंटरनल सर्वे करवाकर होर्डिंग लगवाया है.
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