रांची. नीलांबर-पीतांबर विवि में सत्र 2021 से 2024 के दौरान 25 हजार के करीब छात्रों ने नामांकन लिया था, जिसमें करीब 8000 से अधिक छात्रों ने कैंपस छोड़ दिया है. यह बात ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने कही है. आइसा ने झारखंड की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाये हैं. आइसा के पलामू जिलाध्यक्ष गुडडू भुइयां ने कहा कि इस शैक्षणिक संकट का प्रभाव व्यापक है. पढ़ाई छोड़ने के बाद अधिकांश छात्र पलायन के लिए मजबूर होंगे और असंगठित क्षेत्र में मजदूरी करने में लग जायेंगे.
छात्र शिक्षा पूरी नहीं कर पाते
उन्होंने कहा कि गरीबी और बेरोजगारी की चपेट में आनेवाले ये छात्र न तो शिक्षा पूरी कर पाते हैं और न ही उन्हें कोई स्थायी रोजगार मिल पाता है. इससे समाज में असमानता, हताशा और अपराध की प्रवृत्ति भी बढ़ती है. आइसा का मानना है कि कॉलेजों में शैक्षणिक माहौल का अभाव छात्रों को हतोत्साहित कर रहा है. ड्रॉपआउट का मुख्य कारण नियमित कक्षाओं का नहीं होना, सत्रों में अत्यधिक देरी, परीक्षा परिणामों में अनियमितता और डिग्री वितरण की प्रक्रिया में महीनों की देरी होना है.
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