रांची. झारखंड विधानसभा चुनाव (2024) के बाद एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के घटक दलों के विधायक अलग-थलग पड़ गये हैं. चुनाव परिणाम आने के बाद अब तक एनडीए के विधायकों की कोई संयुक्त बैठक नहीं हुई है, जिससे सदन में विपक्ष प्रभावी भूमिका निभाने में असफल दिख रहा है.
झारखंड विधानसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है, जिसके 21 विधायक हैं, जबकि एनडीए के अन्य घटक दलों आजसू, लोजपा और जदयू के पास एक-एक विधायक हैं. आमतौर पर विधानसभा सत्र से पहले घटक दलों की बैठक होती है, जिसमें विपक्षी रणनीति बनायी जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ.इंडिया गठबंधन ने बनायी रणनीति, एनडीए में तालमेल की कमी
जहां इंडिया गठबंधन ने सत्र से पहले बैठक कर सरकार को घेरने की रणनीति बनायी, वहीं भाजपा केवल अपने विधायकों के साथ ही बैठक कर पायी. इससे एनडीए के अन्य सहयोगी दल खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. इस मामले पर जदयू विधायक सरयू राय ने कहा कि चुनाव पूर्व आपसी समझौते के तहत घटक दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन अब विधानसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को सभी घटक दलों को साथ लेकर चलना चाहिए. उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में एनडीए की जीत के बाद घटक दलों को मंत्री पद मिले हैं, लेकिन झारखंड में फिलहाल विपक्षी एकता कमजोर दिख रही है.भाजपा को निभानी होगी बड़ी जिम्मेदारी
जदयू विधायक सरयू राय ने कहा कि सदन में प्रभावी विपक्ष बनने के लिए भाजपा को पहल करनी होगी और एनडीए के सभी सहयोगियों को साथ लाना होगा. यदि भाजपा सभी घटक दलों के विधायकों के साथ बैठक कर रणनीति बनाती है, तो विपक्ष की स्थिति मजबूत हो सकती है. फिलहाल, एनडीए में समन्वय की कमी सरकार के लिए फायदेमंद साबित हो रही है, क्योंकि बिखरे हुए विपक्ष के कारण सरकार पर कोई खास दबाव नहीं बन पा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है