विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा नियंत्रण दिवस पर पलाश सभागार में कार्यशाला
रांची. विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा नियंत्रण दिवस के अवसर पर मंगलवार को झारखंड जैव विविधता बोर्ड ने कार्यशाला का आयोजन किया. वन विभाग के पलाश सभागार में भूमि क्षरण को रोकने पर चर्चा हुई. झारखंड जैव विविधता बोर्ड के पीसीसीएफ सह सदस्य सचिव संजीव कुमार ने कहा कि उपजाऊ भूमि के शुष्क, बंजर व अनुपयोगी होने का मुख्य कारण रासायनिक खेती है. जलवायु परिवर्तन, खनन व वनों की कटाई और शहरीकरण भी बड़ा कारण है. झारखंड में करीब 68 फीसदी भूमि बंजर हो चुकी है. इसे रोकने के लिए देसी पौधों का रोपण, जैवविविधता का संरक्षण, वर्षा जल संरक्षण, प्लास्टिक का कम प्रयोग, टिकाऊ कृषि, समुदाय आधारित संरक्षण आदि जरूरी है. डॉ प्रसेनजीत मुखर्जी ने भी विचार रखा. सदस्य सचिव ने जैव विविधता प्रबंधन समिति (बीएमसी) के माध्यम से उल्लेखनीय काम के लिए तकनीकी पदाधिकारी हरि शंकर लाल को प्रमाण पत्र दिया. कार्यक्रम में जिप सदस्य आदिल अजीम, कजरू मुंडा, शनिचरवा तिर्की, इरशाद अंसारी, आशा देवी, कम्मू देवी, इंदु तिग्गा और अरुण महली आदि ने हिस्सा लिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है