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Ranchi News : 20 वर्षों बाद वेतन वृद्धि रोकने के आदेश को हाइकोर्ट ने किया निरस्त

सेवानिवृत्त प्रार्थी को सभी वित्तीय लाभ देने का निर्देश

वरीय संवाददाता, रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने दुमका के तत्कालीन प्रधानाध्यापक के दो वार्षिक वेतन वृद्धि संचयात्मक प्रभाव से रोकने को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने 20 वर्ष पुराने मामले में फैसला सुनाया. अदालत ने छह अक्तूबर 2005 को दुमका डीडीसी द्वारा प्रार्थी के वेतन वृद्धि रोकने संबधी आदेश को निरस्त कर दिया. अदालत ने कहा कि चूंकि प्रार्थी 31 जनवरी 2014 को सेवानिवृत हो चुके हैं. ऐसे में उन्हें सभी वित्तीय लाभ का भुगतान जल्द किया जाये. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार ने पैरवी की. उन्होंने बताया कि 26 फरवरी 2004 को प्राथमिक विद्यालय कुसडीहा दुमका बीडीओ ने औचक निरीक्षण किया था. आरोप है कि स्कूल के तत्कालीन प्रधानाध्यापक हरिहर प्रसाद मंडल द्वारा रजिस्टर एवं स्कूल के दस्तावेज को अपने घर में रखा जाता था. वे कभी-कभी ही कक्षाएं लिया करते थे. कक्षा नहीं लेने के संबंध में उनका ग्रामीणों से भी झगड़ा होता था. बाद में उन पर विभागीय कार्यवाही चलायी गयी. 15 अप्रैल 2004 को उन पर आरोप गठित किया गया था. छह अक्तूबर 2005 को सजा के तौर पर उनकी दो वार्षिक वेतन वृद्धि संचयात्मक प्रभाव से रोक दी गयी. प्रार्थी को मामले में बृहद सजा दी गयी है, जबकि उन्हें जांच प्रतिवेदन नहीं सौंपा गया और न ही द्वितीय कारण पृच्छा ही की गयी थी. यह नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध है. अधिवक्ता राजेश कुमार ने दो वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने के आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक हरिहर प्रसाद मंडल ने याचिका दायर की थी.

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